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__ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास गुजराती लोकागच्छ के मोटापक्ष के आचार्यों का संक्षिप्त परिचय
श्री बड़े वरसिंहजी-आपका जन्म पाटण में हुआ। जाति से आप ओसवाल थे। वि०सं० १५८७ में आप दीक्षित हुए। वि०सं० १६१२ वैशाख सुदि षष्ठी को आप गादीपति बने। वि० सं० १६४४ कार्तिक सुदि तृतीया को समाधिपूर्वक आप स्वर्गस्थ हुये।
श्री लघु वरसिंहजी- आपका जन्म सादड़ी में हुआ। आप जाति से ओसवाल थे। इसके अतिरिक्त आपके विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।
श्री जसवंतसिंहजी- आपका जन्म सोजितरा में हुआ। वि०सं० १६४९ माघ सुदि तृतीया को आप दीक्षित हुए। गादीपति होने का वर्ष ज्ञात नहीं होता है। वि० सं० १६८८ मार्गशीर्ष पूर्णिमा को संथारापूर्वक आपका स्वर्गवास हुआ।
श्री. रूपसिंहजी- वि० सं० १६७५ मार्गशीर्ष सुदि त्रयोदशी को आपने दीक्षा ग्रहण की। वि०सं० १६८८ मार्गशीर्ष सदि अष्टमी को आप गादी पर विराजित हये। वि० सं० १६९७ आषाढ़ वदि दशमी को संथारापूर्वक कृष्णगढ़ में आप स्वर्गस्थ हुए।
श्री दामोदरजी- आपका जन्म अजमेर में हुआ। वि० सं० १६९२ में आप दीक्षित हुये। वि० सं० १६९७ में आप गादी पर विराजित हुये। इसके आगे की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
श्री कर्मसिंहजी- आप मुनि श्री दामोदरजी के भाई थे। वि०सं० १६९८ में आप गादी पर विराजित हुए। वि०सं० १९९९ में संथारा पूर्वक आपका स्वर्गगमन हुआ।
श्री केशवजी- आपका जन्म कहाँ हुआ इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। वि० सं० १६९९ में आप दीक्षित हुये। वि०सं० १६९९ में ही माघ वदि त्रयोदशी को आप गादीपति बने। इसके अतिरिक्त कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।
श्री तेजसिंहजी- आपके जन्म के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। वि० सं० १७०६ में आप दीक्षित हुये। वि०सं० १७२१ में आप गादी पर विराजित हये। ९ दिन के संथारे के साथ आषाढ़ वदि त्रयोदशी को आप स्वर्गस्थ हुये। स्वर्गवास का वर्ष ज्ञात नहीं है।
श्री कान्हाजी- वि० सं० १७४३ वैशाख सुदि तृतीया को आप सुरत में गादीपति बने और सुरत में ही वि०सं० १७७९ भाद्रपद सुदि अष्टमी को आपका स्वर्गगमन हुआ। जन्म तिथि ज्ञात नहीं है।
श्री तुलसीदासजी- वि० सं० १७६८ फाल्गुन सुदि तृतीया को आपने दीक्षाग्रहण की। वि०सं० १७७९ भाद्रपद सुदि अष्टमी को आप गादी पर विराजित
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