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आचार्य मनोहरदासजी और उनकी परम्परा
४५१ मुनि श्री प्रेममुनिजी
आपका जन्म वि०सं० १९६३ चैत्र शुक्ला द्वितीया के दिन आगरा और हाथरस के सन्निकट दूजी का मगरा ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री मोतीप्रसादजी और माता का नाम श्रीमती चन्दनिया बाई था। सवा तीन वर्ष वैरागी जीवन व्यतीत करने के पश्चात् वि०सं० १९८१ वैशाख शुक्ला पंचमी के दिन मुनि श्री श्यामलालजी के करकमलों से मितलावली में आपने दीक्षा अंगीकार की। वैरागी जीवन से ही आपने शास्त्रों का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया था। आप शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता व बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। आपने जिनशासन की अच्छी प्रभावना की। वि० सं० १९८४ के संगरुर चातुर्मास में आपने पहला प्रवचन दिया। वि०सं० २०३० के चातुर्मास की स्वीकृति आपने शक्तिनगर श्रीसंघ को दी थी, किन्तु होनी कुछ और ही थी। २० जून १९७३ (वि०सं० २०३०) को दिल्ली (सब्जीमण्डी) के जैन स्थानक में आपका स्वर्गवास हो गया। आप द्वारा किये गये चातुर्मासों की संक्षिप्त सूची निम्न हैवि० सं० स्थान
वि० सं० स्थान १९८१ परासौली
१९९७
अम्बाला १९८२ श्यामली
१९९८ फरीदकोट १९८३ काछुआ
१९९९ काछुआ १९८४ संगरूर
२०००
कैथल १९८५ चरखीदादरी
करनाल १९८६
सफीदोमंडी १९८७ हिसार
२००३
आगरा १९८८ महेन्द्रगढ़
एलम १९८९
२००५ छपरौली १९९० नारनौल
२००६ १९९१ महेन्द्रगढ़
२००७
हिसार १९९२ एलम
आगरा (मानपाड़ा) १९९३ नारनौल
२००९ आगरा बिनौली
२०१० अलवर १९९५ आगरा (लोहामंडी)
२०११ कानपुर १९९६ जगरावाँ
२०१२ कानपुर
२००१ २००२
महेन्द्रगढ़
२००४
एलम
रोहतक
२००८
१९९४
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