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आचार्य मनोहरदासजी और उनकी परम्परा
४५३ हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश गुजरात आदि प्रदेश आपके विहार क्षेत्र रहे हैं। कुछ वर्षों तक आप हाई ब्लडप्रेशर और अर्धांग लकवे की व्याधि से ग्रस्त रहे थे। मुनि श्री हेमचन्द्रजी
आपका जन्म वि० सं० १९८० ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को बागपत जिलान्तर्गत 'किरढल' ग्राम में हुआ । आपके पिता का नाम पंडित श्री बख्तावर सिंह व माता का नाम श्रीमती छोटादेवी था। वि० सं० १९९३ माघ शुक्ला त्रयोदशी के दिन नारनौल में पूज्य गुरुदेव श्री श्यामलालजी के तृतीय शिष्य के रूप में आप दीक्षित हुये। दीक्षोपरान्त आपने संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती आदि भाषाओं के साथ-साथ जैन, बौद्ध और वैदिक साहित्य का भी गहन अध्ययन किया। आपकी दीक्षा के अवसर पर ही आचार्य श्री पृथ्वीचन्द्रजी ने मुनि श्री श्यामलालजी को 'गणावच्छेदक' और श्री अमरमुनिजी को 'उपाध्याय' पद प्रदान किया था। 'जीवनसूत्र हेम गीतांजलि, शान्तिजिनस्तुति व मंगलकोष आदि आपकी पुस्तिकाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।
वर्तमान में आपका नेश्राय में मुनि श्री कीर्तिचन्दजी, मुनि श्री उमेशचन्द्रजी, मुनि श्री सुबोधचन्द्रजी,मुनि श्री आनन्दमुनिजी, मुनि श्री ऋषभमुनिजी, मुनि श्री आशीषमुनिजी, मुनि श्री दीपेशमुनिजी आदि सन्त विद्यमान हैं। मुनि श्री कीर्तिचन्दजी
आपका जन्म वि० सं० १९८७ आषाढ़ शुक्ला पंचमी के दिन हरियाणा के करनाल में स्थित कैथल तहसील में हआ। आपके पिता का नाम श्री परसरामजी और माता का नाम श्रीमती गणपति देवी है। वि०सं० २००१ माघ शुक्ला पंचमी (वसंत पंचमी) के दिन मुनि श्री श्यामलालजी के सान्निध्य में आपने नारनौल में आहती दीक्षा अंगीकोर की और मुनि श्री श्रीचन्दजी के शिष्य घोषित हुये। आप एक अच्छे वक्ता, कवि, शायर और गीतकार हैं। कीर्तिलता, कीर्ति गीतंजलि, वैराग्य बारामासा, गीत गुञ्जार, 'मधुर गीत, गीत झंकार, गीत मंजूषा, संगीत मंजरी, गीत गागरं, जयन्ती गीत, गुरुभक्ति गीत, गीत चन्द्रिका, गीत ज्योति और कीर्तिनाम आदि गीतों की आपकी पुस्तिकाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके अतिरिक्त आपने खण्डकाव्यों की भी रचना की है। 'बुधमल चरित्र' व 'गीतमय चरित्र' नामक ग्रन्थ भी आपने लिखे हैं जो अप्रकाशित हैं। मुनि श्री श्यामलालजी की स्मृति में प्रकाशित 'पूज्य गुरुदेव स्मृति ग्रन्थ' का आपने कुशल सम्पादन किया है। मुनि श्री उमेशचन्द्रजी.
_आपका जन्म वि०सं० १९८९ कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी को करनाल (हरियाणा) के कैथल में हआ। आपके पिता का नाम पं० श्री परसरामजी व माता का नाम श्रीमती गणपतिदेवी था। वि० सं० २००० में आप गुरुदेव श्री श्यामलालजी व मुनि श्री प्रेमचन्द्रजी
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