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आचार्य धर्मदासजी की मालव परम्परा
४१७ इनके पश्चात् मुनि श्री विनयचन्दजी का भी देहान्त हो गया। मुनि श्री सौभाग्यमलजी विद्यमान रहे।
'कृष्ण कुसुमावली' और 'चरितावली' में आपकी कुछ रचनाओं का संग्रह है।
रतलाम शाखा के प्रभावी सन्त मुनि श्री सौभाग्यमलजी
आपका जन्म वि०सं० १९५३ में नीमच समीपस्थ सरवाणिया ग्राम के निवासी श्री चौथमलजी फाँफरिया के यहाँ हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती केशरबाई था। बाल्यावस्था में ही आपकी माता का देहान्त हो गया। आजीविका की तलाश में आपके पिताजी रतलाम पहुँचे जहाँ आचार्य श्री लालजी (हुक्मीचन्द सम्प्रदाय) की चातुर्मास समिति द्वारा संचालित भोजनशाला में उन्हें नौकरी मिल गयी। कुछ समय पश्चात् आपके पिताजी का भी देहावसान हो गया। तत्पश्चात् आप रतलाम के श्रावक श्री इन्दरमलजी बैद के यहाँ रहने लगे, किन्तु बाल्यावस्था होने से किसी ब्राह्मण ने आपको बहला-फुसलाकर खाचरौंद लाकर छोड़ दिया। अब आप खाचरोंद के निवासी श्री मियाचन्दजी खींवसरा के यहाँ १२ वर्ष की उम्र तक रहे। वि० सं० १९६७ वैशाख तृतीया को मुनि श्री किशनलालजी की निश्रा में आपकी दीक्षा हुई। दीक्षोपरान्त आपने अध्ययन प्रारम्भ किया। दीक्षा से पूर्व आपने किसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। आप अपने गुरु को ईश्वर नाम से सम्बोधित करते थे।
आपके २१-२२ शिष्य हुए जिनमें से उपलब्ध नाम हैं - श्री केशरीमलजी , शतावधावी पं० श्री केवलमुनिजी, श्री रूपचन्दजी, श्री कुन्दनमलजी, श्री नगीनमुनिजी, श्री सागरमुनिजी, श्री मथुरामुनिजी, श्री हुकममुनिजी, श्री मगनमुनिजी, श्री महेन्द्रमुनिजी, श्री प्रदीपमनिजी, श्री लालचन्द्रजी, श्री मानमनिजी, श्री कानमुनिजी, श्री गणेशमनजी, श्री चाँदमुनिजी' श्री जीवनमुनिजी, श्री प्रकाशमुनिजी 'निर्भय', श्री प्रेममुनिजी आदि। शेष मुनि श्री के नाम उपलब्ध नहीं होते हैं।
आपके उपर्युक्त शिष्यों में से श्री लालचन्द्रजी, श्री मानमुनिजी, श्री कानमुनिजी और आपके प्रशिष्य श्री पारसमुनिजी 'रतलाम शाखा' से अलग होकर विचरण करने लगे थे।
'पूज्य मालवकेसरी : जीवन, चिन्तन और परिशीलन' नामक पुस्तक में आपके जीवन के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है। 'श्रेणिक चारित्र', 'चन्दचारित्र' आदि आपकी कृतियाँ हैं जो पद्य में निबद्ध हैं । आपके व्याख्यानों का संग्रह 'सौभाग्य सुधा' के नाम से संकलित है। आपके निर्देशन में 'आचारांगसूत्र - एक विवेचन' पुस्तक भी तैयार हुई थी। आपकी अप्रकाशित कृतियाँ हैं- 'केशी-गौतम संवाद', 'कपा ने घा', 'अनुपम
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