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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास संस्थाओं की स्थापना कर आपने सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा के मंच लाकर खड़ा कर दिया। इन संस्थाओं के तत्त्वावधान में आपने जैनधर्म का विश्वव्यापी प्रचार किया तथा जैनधर्म के मौलिक सिद्धान्तों को आधार बनाते हुए आपने अध्यात्म, अहिंसा, शाकाहार, पर्यावरण, विश्वशान्ति एवं मानव उत्थान, अर्हम् योग, रंग-चिकित्सा एवं योग के माध्यम से विभिन्न रोगों का उपचार, सर्वधर्म समभाव एवं मानव कल्याण, जीव हिंसा का विरोध आदि कार्य किये । २२ अप्रैल १९९४ को आप जैसे क्रान्तिकारी संत का महाप्रयाण हुआ।
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