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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास दोनों ने व्यक्तिगत मतभेदों के होते हुये भी संघ को सम्प्रदाय में विभक्त नहीं होने दिया। आप दोनों की जन्म-तिथि, दीक्षा-तिथि, स्वर्गवास- तिथि आदि की जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। आचार्य श्री तिलोकऋषिजी
पूज्य पृथ्वीऋषि के पट्टधर मुनि श्री तिलोकऋषिजी हुए। आपका जन्म वि० सं० १९०४ चैत्र कृष्णा तृतीया, दिन रविवार को रतलाम निवासी श्री दुलीचन्दजी सुराणा के यहाँ हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती नानूबाई था। आपकी एक बहन और तीन भाई थे। आपके पुण्य कर्मोदय से वि०सं० १९१४ में पूज्य श्री अयवन्ताऋषिजी रतलाम पधारे । वि० सं० १९१४ माघ कृष्णा प्रतिपदा को आपने अपने बड़े भाई कुंवरजी, बहन हीराबाई
और माता श्रीमती नानूबाई के साथ श्री अयवन्ताऋषिजी से दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा के समय आपकी उम्र १० वर्ष की थी। ऐसा कहा जाता है कि दीक्षा के प्रथम वर्ष में 'दशवैकालिक' और दुसरे वर्ष में 'उत्तराध्ययन' को आपने कंठस्थ कर लिया था। १८ वर्ष की उम्र तक आपने आगमों का गहन अध्ययन कर लिया था। वि०सं० १९२२ में मुनि श्री अयवन्ताऋषिजी का स्वर्गवास हो गया। १८ वर्षों तक मालवा, मेवाड़, महाराष्ट्र आदि में आपने जिनशासन की खुब अलख जगायी । आपका अन्तिम चातुर्मास वि० सं०१९४० में अहमदनगर में हुआ। वहीं श्रावण कृष्णा द्वितीया को आपका स्वर्गवास हो गया । कहा जाता है कि आपने ७००० पद्यों की रचना की थी। आप द्वारा रचित काव्य ग्रन्थों के नाम इस प्रकार हैं
१. श्री श्रेणिक चरित, २. श्रीचन्द केवली चरित, ३. श्री समरादित्य केवली चरित, ४. श्री सीता चरित, ५. श्री हंसकेशव चरित, ६. धर्मबुद्धि-पापबुद्धि चरित, ७. अर्जुनमाली चरित, ८. धन्ना-शलिभद्र चरित, ९. भृगुपुरोहित चरित, १०. श्री हरिवंश (काव्य), ११. पंचवादी (काव्य), १२, श्री तिलोक बावनी (तीन भागों में), १३, श्री गजसुकुमाल चरित, १४. श्री अमरकुमार चरित, १५. श्री नन्दन मणिहार चरित, १६. श्री वीररस प्रधान श्री महावीर चरित, १७. श्री सुदर्शन चरित, १८. श्री नन्दीषेणमुनि चरित, १९. श्री चन्दनबाला चरित, २०. पाँच समिति तीन गुप्ति का अष्ट ढालिया, २१. श्रीमहावीर चरित, २२. श्रीधर्मजय चरित, २३. श्रीमहाबल मलया चरित। इनके अतिरिक्त अनेक स्तवन और छंद आदि हैं।
ये सभी रचनायें श्रमण संघ के आचार्य श्री आनन्दऋषिजी के पास सुरक्षित थीं, वर्तमान में किसके पास हैं, ज्ञात नहीं है। आपके चातुर्मास स्थल और वर्ष इस प्रकार हैंवि० सं० स्थान वि०सं०
स्थान १९१४
रतलाम __ १९१७
प्रतापगढ़ १९१५
जावरा १९१८
शुजालपुर १९१६ शुजालपुर १९१९
भोपाल
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