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धर्मदासजी की परम्परा में उद्भूत गुजरात के सम्प्रदाय मुनि श्री प्रागजी स्वामी (छोटे)
घोरांजी में आपने जन्म लिया। वि०सं० १९४६ मार्गशीर्ष सुदि षष्ठी को घोलेरा में आपकी दीक्षा हुई। वि०सं० १९९२ माघ वदि दशमी दिन रविवार की रात्रि में नायका (गुजरात) में आपका देवलोकगमन हुआ। मुनि श्री करमचन्द्रजी स्वामी
आपका जन्म लाकडिया में हुआ। वि० सं० १९४६ मार्गशीर्ष वदि चतुर्थी को आप दीक्षित हुये। वि०सं० १९८५ में लीम्बड़ी में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री हरखचन्दजी स्वामी
आपका जन्म जेतपुर में हुआ। वि०सं० १९४७ माघ वदि नवमी को आप दीक्षित हुये। वि०सं० १९५८ में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री शामजी स्वामी (बड़े)
कच्छ के घाणाथर में आपने जन्म लिया। वि०सं० १९४९ माघ वदि सप्तमी को आपने आहती दीक्षा ली। वि०सं० १९९० में सुरेन्द्रनगर में आपका स्वर्गवास हो गया। मुनि श्री. शिवजी स्वामी
रताड़िया (कच्छ) में आपका जन्म हुआ। रताड़िया में ही वि०सं० १९४९ ज्येष्ठ सुदि एकादशी को आप दीक्षित हुये। वि० सं० १९८७ कार्तिक वदि एकादशी को सुरेन्द्रनगर में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री केशवलालजी स्वामी
आपका जन्म लीम्बड़ी में हुआ। वि०सं० १९५० पौष सुदि त्रयोदशी को आप दीक्षित हुये। वि० सं० २००३ कार्तिक वदि में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री अमीचन्दजी स्वामी.
आपका जन्म रव (पूर्व कच्छ) में हुआ। वि०सं० १९५२ माघ वदि चतुर्थी को रव में ही आपने आर्हती दीक्षा अंगीकार की। वि० सं० २००१ में तुबड़ी में आपका स्वर्गवास हुआ। शतावधानी रत्नचन्द्रजी
आपका जन्म वि०सं० १९३६ वैशाख सुदि एकादशी को भोरारा (कच्छ) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री वीरपालभाई तथा माता का नाम श्रीमती लक्ष्मीबाई था। १३ वर्ष की अवस्था में वि० सं० १९४९ में आपका पाणिग्रहण संस्कार हुआ। विवाहोपरान्त आप गुरुवर्य मुनि श्री गुलाबचन्दजी के सम्पर्क में आये। आचार्य देवेन्द्रमुनिशास्त्री ने आपके दो विवाह होने का उल्लेख किया है। उन्होंने 'जैन जगत
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