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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री आगमचन्द्रजी स्वामी.
आपका जन्म नंबौ में हुआ। वि० सं० २०४५ में थाणा में आप दीक्षित हुए। मुनि श्री नैतिकचन्द्रजी स्वामी
आपका जन्म भचाउ में हुआ। वि०सं० २०४५ में मुंबई (अंधेरी) में आपने दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री भावेशचन्द्रजी स्वामी
५.१.७३ को गुण्दाला (कच्छ) में आपका जन्म हुआ। दीक्षा वि०सं० २०५० में वैशाख शुक्ला दशमी तदनुसार २० मई १९९४ को गुण्दाला में हुई। मुनि श्री आदर्शचन्द्रजी स्वामी - आपका जन्म कच्छ के मुंद्रा के मुनकर ग्राम में हुआ। आपकी दीक्षा ६ फरवरी २००३ को ठाणा (मुम्बई) में हुई ।
वर्तमान में इस सम्प्रदाय में सन्तों की संख्या-२१ है तथा सतियों की संख्या ३११ है।
लीम्बड़ी (गोपाल) संघवी सम्प्रदाय ___आचार्य अजरामर स्वामी के शिष्य मुनि श्री देवराजजी स्वामी और उनके शिष्य पं० श्री अविचलदासजी स्वामी के शिष्य श्री हेमचन्द्रजी स्वामी ने अपने शिष्य मुनि श्री गोपालजी स्वामी को लेकर लीम्बड़ी गोपाल (संघवी) सम्प्रदाय की स्थापना की। इस सम्प्रदाय की पट्ट परम्परा इस प्रकार है
मुनि श्री अविचलदासजी के पट्ट पर मुनि श्री हेमचन्द्रजी विराजित हुये। मुनि श्री हेमचन्द्रजी के पश्चात् मुनि श्री गोपालजी स्वामी ने संघ की बागडोर सम्भाली। मुनि श्री गोपालजी के पश्चात् मुनि श्री मोहनलालजी संघनायक बनें। मुनि श्री मोहनलालजी स्वामी के पट्ट पर मुनि श्री मणिलालजी स्वामी बैठे। मुनि श्री मणिलालजी के पश्चात मुनि श्री केशवलालजी संघप्रमुख हुये और मुनि श्री केशवलालजी के पश्चात् वर्तमान में मुनि श्री राममुनिजी संघप्रमुख हुये।
इस संघ में वर्तमान में कुल १५१ सन्त-सतियाँजी हैं जिनमें ११ मुनिराज तथा १४० सतियाँजी हैं। मुनिराजों के नाम हैं- मुनि श्री उत्तमकुमारजी, मुनि श्री हंसकुमारजी, मुनि श्री अभयकुमारजी, मुनि श्री उदयकुमारजी, मुनि श्री प्रकाशकुमारजी, मुनि श्री केवलमुनिजी, मुनि श्री धन्यमुनिजी, मुनि श्री रत्नशीमुनिजी, मुनि श्री देवेन्द्रमुनिजी और मुनि श्री धर्मेन्द्रमुनिजी।
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