________________
३३६
स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास सुभाषचन्द्रजी, श्री रमेशचन्द्रजी, श्री नवीनचन्द्रजी, श्री नरेशचन्द्रजी, श्री सुरेशचन्द्रजी, श्री भाईचन्द्रजी, श्री विमलचन्द्रजी, श्री कीर्तनचन्द्रजी, श्री जितेशचन्द्रजी, श्री दिनेशचन्द्र जी, श्री हितेशचन्द्र जी, श्री ताराचन्दजी, श्री प्रशान्तचन्द्रजी।
कच्छ आठ कोटि नानी पक्ष की पट्ट परम्परा
कच्छ आठ कोटि नानीपक्ष सम्प्रदाय श्री करसनजी स्वामी से अस्तित्व में आया। इस परम्परा में श्री करसनजी के पश्चात् श्री डाह्याजी उनके पट्ट पर आसीन हये। श्री डाह्याजी के पश्चात् श्री जसराजजी पट्टधर के रूप में आसीन हुये। श्री जसराजजी के पट्ट पर श्री वस्ताजी, श्रीवस्ताजी के पट्ट पर श्री हंसराजजी, श्रीहंसराजजी के पट्ट पर ब्रजपालजी, श्री ब्रजपालजी के पट्ट पर श्री डुंगरसीजी, श्री डूंगरसीजी के पट्ट पर श्री सामजी, श्री सामजी के पट्ट पर श्री लालजी, श्री लालजी के पट्ट पर श्री रामजी स्वामी विराजित हुये। वर्तमान में श्री राधवजी स्वामी संघ प्रमुख हैं।
इस परम्परा में वर्तमान साधु-साध्वियों की कुल संख्या- ५८ है जिसमें मुनिजी १९ तथा साध्वीजी ३९ हैं। विद्यमान मुनिराजों के नाम हैं- मुनि श्री गांगजी, मनि श्री सुरेन्द्रजी, मुनि श्री हीरालालजी, मुनि श्री देवेन्द्रजी, मुनि श्री गोविन्दजी, मुनि श्री दामजी, मुनि श्री लीलाधरजी, मुनि श्री नितीनजी, मुनि श्री खींमजी, मुनि श्री कल्याणजी, मुनि श्री मूलचंदजी, मुनि श्री सूरजजी, मुनि श्री शिवजी, मुनि श्री प्रेमजी, मुनि श्री जयेशजी, मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी, मुनि श्री वशनजी और मुनि श्री नानालालजी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org