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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री ज्ञानऋषिजी
आप सिरसाला के निवासी थे। आपका जन्म कब हुआ? आपके माता-पिता का नाम क्या था? आदि की जानकारी नहीं मिलती है। इतना ज्ञात होता है कि आप वि० सं० १९९० से ही मुनि श्री आनन्दऋषिजी की सेवा में रहकर ज्ञानाभ्यास करते रहे। बाद में वैवाहिक जीवन यापन करने लगे, किन्तु गुरुवर्य का सान्निध्य नहीं छोड़ा। अन्तत: वि०सं० १९९९ में आप दोनों पति-पत्नी ने दीक्षा धारण कर ली। आपकी दीक्षा-तिथि आषाढ़ शुक्ला षष्ठी और आपकी पत्नी की दीक्षा-तिथि आषाढ़ शुक्ला द्वितीया है। कुछ समयोपरान्त आप संयम व्रत से च्युत हो गये । गृहस्थावस्था में आपका नाम बाबूलाल था। मुनि श्री पुष्पऋषिजी
आपका जन्म राणावास के श्री छोगालालजी कटारिया के यहाँ हुआ। दीक्षा पूर्व आपका नाम श्री पूसालाल था। जन्म-तिथि उपलब्ध नहीं है। वि० सं० २००६ मार्गशीर्ष शुक्ला पंचमी दिन गुरुवार को उदयपुर में मुनि श्री आनन्दऋषिजी के सानिध्य में आपने दीक्षा ग्रहण की। आपके दीक्षा महोत्सव के अवसर पर महासती श्री रतनकुंवरजी विराजमान थीं। आपका स्वर्गवास अहमदाबाद में हुआ। मुनि श्री. हिम्मतऋषिजी
आपका जन्म बरार के चवाला में हुआ। आपकी जन्म-तिथि उपलब्ध नहीं है। आपकी माता का नाम श्रीमती दगड़ीबाई तथा पिता का नाम श्री छोगमलजी भंडारी था। वि०सं० २००८ मार्गशीर्ष शुक्ला पंचमी दिन सोमवार को आप मुनि श्री आनन्दऋषिजी की निश्रा में भीलवाड़ा में दीक्षित हये। आपने मनि श्री मोतीऋषिजी के मखारविन्द से 'आचारांग', 'सूत्रकृतांग', 'जीवाभिगम', 'भगवती' आदि ग्रन्थों का तलस्पर्शी अध्ययन किया। राजस्थान आपका मुख्य विहार क्षेत्र रहा है। कालान्तर में आप संयमी जीवन से च्युत हो गये। मुनि श्री चन्द्रऋषिजी
आपका जन्म वि०सं० १९७१ में अहमदनगर के कड़ा ग्राम में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती सक्करबाई तथा पिता का नाम श्री चुनीलालजी भंडारी था। वि०सं० २०१० में साधु प्रतिक्रमण, एषणासमिति के दोष आदि सामान्य नियमों की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् कार्तिक शुक्ला पंचमी के दिन उपाचार्य श्री गणेशीलालजी के सानिध्य में जोधपुर में आपने आर्हती दीक्षा ग्रहण की और मुनि श्री आनन्दऋषिजी की निश्रा में शिष्य बने। दीक्षोपरान्त आपने 'दशवैकालिकसूत्र के ५ अध्ययन, 'भक्तामरस्तोत्र', 'चिन्तामणिस्तोत्र', 'महावीराष्टक', 'तिलोकाष्टक', 'रत्नाष्टक', 'लघुदंडक', एवं 'कर्मप्रकृति का थोकडा' कंठस्थ कर लिया।
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