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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास आचार्य श्री लवजी स्वामी
आपका जन्म वि० सं० १९१२ श्रावण सुदि एकादशी को वेजलकार (सौराष्ट्र) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री नरसिंह भाई व माता का नाम श्रीमती केशरबाई था। वि० सं० १९२४ ज्येष्ठ वदि द्वितीया को आप दीक्षित हुये। वि०सं० १९७७ में संघ के गादीपति बने तथा वि०सं० १९७८ माघ सुदि पूर्णिमा को लीम्बड़ी में श्रीसंघ द्वारा आपको आचार्य पद पर पदासीन किया गया। वि०सं० १९८५ कार्तिक सुदि द्वितीया को बढ़वाण में आपका स्वर्गवास हुआ। आचार्य श्री गुलाबचन्दजी स्वामी
__ आपका जन्म वि० सं० १९२१ ज्येष्ठ सुदि द्वितीया को भोरारा (कच्छ) में हुआ। आप जाति से वीसा ओसवाल थे। आपके पिता का नाम श्री श्रवण भारमल देढ़िया तथा माता का नाम श्रीमती आसई बाई था। वि०सं० १९६३ माघ सुदि दशमी को अंजार (कच्छ) में आपने आर्हती दीक्षा ली। वि०सं० १९८५ कार्तिक सुदि द्वितीया को आप संघ के गादीपति बने। वि०सं० १९८८ ज्येष्ठ सुदि प्रतिपदा दिन रविवार को श्रीसंघ द्वारा आपको आचार्य पद प्रदान किया गया। २५ वर्ष संयमपर्याय का पालन कर वि० सं० २००८ चैत्र दि द्वादशी दिन रविवार को आप स्वर्गस्थ हुये। आपके तीन शिष्य थे। गादीपति श्री धनजी स्वामी
आपका जन्म वि०सं० १९३३ आसोज सुदि अष्टमी को लीम्बड़ी के दशाश्रीमाली परिवार में हुआ। वि०सं० १९४९ वैशाख सुदि त्रयोदशी को लीम्बड़ी में ही आप दीक्षित हुये। वि० सं० २००८ चैत्र सुदि द्वादशी को आप गादीपति बने और वि० सं० २०२५ में आपका स्वर्गवास हो गया। गादीपति श्री. शामजी स्वामी
आपका जन्म वि०सं० १९३४ महासुदि एकादशी को सई (पूर्व कच्छ) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री लक्ष्मीचंदभाई बेचरभाई तथा माता का नाम श्रीमती नवलबेन था। पिता के नाम की जगह एक अन्य नाम मिलता है- श्री मोतीचंदजी। ये दोनों नाम एक ही किताब 'आ छे अणगार अमारा' में मिलते हैं। मोतीचंद नाम एक जगह पिता के नाम में उल्लेखित है तो एक जगह भाई के नाम में। इस शंका के समाधान के लिए हमारे पास कोई अन्य साक्ष्य नहीं है। वि०सं० १९५० वैशाख सुदि दशमी दिन सोमवार को चंदिया (अंजार, कच्छ) में आप दीक्षित हये। आप तपस्या को ज्यादा महत्त्व देते थे। आपने अपने संयमजीवन में दो, तीन, पाँच, आठ, ग्यारह, आदि दिनों के उपवास किये थे। विशेषकर आप चतुर्दशी और पर्णिमा को कई बार दो उपवास किया करते थे। आप ज्ञानप्रेमी भी थे। लिखने-पढ़ने में आप इतने तल्लीन हो जाते
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