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धर्मदासजी की परम्परा में उद्भूत गुजरात के सम्प्रदाय थे कि आपको गोचरी लाना भी याद नहीं रहता था। आपने नौ पुस्तकों का कुशल सम्पादन किया है
१. जैन रसिक गायनमाला, २. मधुर प्रसादी, ३. मंगल पोथी, ४. आदर्श जैन, ५. जिनेन्द्र स्तोत्र मंगलमाला, ६. जैन सबोध मंगलमाला, ७. जिनेन्द्र स्तवन मंगलमाला, ८. जैन स्वाध्याय मंगलमाला, ९. प्रवचन प्रभावना ।
जिस वर्ष आपको संघ की गादी प्राप्त हुई उसी वर्ष वि०सं० २०२५ चैत्र वदि नवमी को लीम्बड़ी में आप स्वर्गस्थ हो गये। आचार्य श्री रूपचन्दजी स्वामी
आपका जन्म वि०सं० १९४४ महावदि सप्तमी को भचाउ (कच्छ) में हुआ। आपके पिता का नाम श्री तेजशीभाई गाला व माता का नाम श्रीमती विजईबाई था। वि० सं० १९५९ फाल्गुन सुदि तृतीया को भचाउ में ही आपने दीक्षा अंगीकार की। वि०सं० २०२५ चैत्र वदि नवमी को आप गादीपति बने और वि०सं० २०२८ वैशाख त्रयोदशी दिन गुरुवार को आप आचार्य पद पर आसीन हुये। वि० सं० २०३९ वैशाख वदि में भचाउ में आप स्वर्गस्थ हुये। आपके एक शिष्य मुनि श्री लाभचन्दजी स्वामी वर्तमान में लीम्बड़ी में स्थिरवास में विराजित हैं। गादीपति श्री चुन्नीलालजी स्वामी
आपका जन्म वि०सं० १९६१ में सज्जनपुर (मोरबी) में हुआ। वि० सं० १९८४ मार्गशीर्ष सुदि षष्ठी दिन बुधवार को लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुये। वि०सं० २०३९ वैशाख वदि में आप गादीपति बने । आपका देवलोक गमन मौरवी (सौराष्ट्र) में वि०सं० २०४५ कार्तिक कृष्णपक्ष में हुआ। आपके दो शिष्य- मुनिश्री निरंजनचन्द्रजी स्वामी एवं मुनिश्री चेतनचन्द्रजी स्वामी बान्धवद्वय वर्तमान में हैं। गादीपति मुनि श्री नरसिंहजी स्वामी (वर्तमान)
आपका जन्म लाकडिया में हुआ। आप वि०सं० २०११ में विदड़ा में आप दीक्षित हुए। वर्तमान में आप ही संघप्रमुख हैं। वर्तमान में इस सम्प्रदाय में सन्तों की संख्या-२१ है तथा सतियों की संख्या-३११ है।
लीम्बड़ी सम्प्रदाय के प्रभावी मुनिगण मुनि श्री बालाजी स्वामी
आपका जन्म अहमदाबाद में हुआ। वि० सं० १७७५ में आप दीक्षित हुये।वि० सं० १८१४ में सूरत में आपका स्वर्गवास हुआ।
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