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(४) आचार्य श्री रामबक्षजी महाराज
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श्री शिवदयालजी
श्री विशनचंदजी
तपस्वी श्री नीलोपतजी
श्री दलेलमलजी
पं० श्री धर्मचन्दजी
अन्तेवासी शिष्य श्री राजमलजी
तपस्वी श्री रामचन्द्रजी
श्रीहरनामदासजी
बहुश्रुत श्री शिवदयालजी
आचार्य श्री सोहनलालजी
तप. माणकचंद (गुजरानवाला)
श्री धनीरामजी
श्री फतेहचन्दर्ज ।
श्री मयारामजी
श्री जवाहरलालजी२ श्री शम्भुनाथजी
पं० श्री कृष्णचन्दजी"
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१. आपकी शिष्य परम्परा का चार्ट आगे अलग पृष्ठ पर दिया गया है। २. आपकी शिष्य परम्परा का चार्ट आगे अलग पृष्ठ पर दिया गया है। ३. आपकी शिष्य परम्परा विशाल होने से पृथक् चार्ट में दी गई है। ४-५. आप दोनों गुरु और शिष्य कालान्तर में 'पार्थनाथ विद्यापीठ,वाराणसी'
और 'जैनेन्द्र गुरुकुल, पंचकूला, की स्थापना के लिए यति बन गये थे।
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