________________
आचार्य लवजीऋषि और उनकी परम्परा
२३९
था । ९ मई १९७५ को नाभा (पंजाब) में आप दीक्षित हुये । आपकी दो बहनें व एक भाई भी संयममार्ग पर अग्रसर हैं, उनके नाम हैं - श्री सुधीरमुनिजी, साध्वी श्री डॉ० अर्चनाजी एवं साध्वी श्री मनीषाजी ।
मुनि श्री सुधीरमुनिजी
आपका जन्म २० अप्रैल १९६६ को मेरठ में हुआ। आप मुनि श्री सुभाषजी के संसारपक्षीय भ्राता हैं। आप मधुर गायक, प्रवचन पटु व विद्याविनोदी स्वभाव के हैं। अर्बन एस्टेट करनाल द्वारा आप 'प्रवचन दिवाकर' की उपाधि से सम्मानित हैं।
मुनि श्री संजीवमुनिजी
आप मुनि श्री सुभाषजी के शिष्य व श्री सुरेन्द्रमुनिजी के प्रशिष्य हैं। प्रवर्तक श्री भागमलजी
आप श्री सोहनलालजी के अन्तेवासी शिष्य थे। आपकी शिष्य परम्परा भी आगे चली जिसमें अर्द्धशतावधानी श्री त्रिलोकचन्द्रजी, श्री मंगलमुनिजी और श्री रानकलांजी आपके शिष्य हुये । अर्द्धशतावधानी श्री त्रिलोकचन्द्रजी के दो शिष्य हुये श्री ज्ञानमुनिजी और श्री उदयमुनिजी। मुनि श्री रामकलांजी के शिष्य श्री प्रेममुनिजी हुये जिनके सात शिष्य हुये श्री रवीन्द्रमुनिजी, श्री रमणीकमुनिजी, श्री उपेन्द्रमुनिजी, श्री राजेशमुनिजी, श्री आलोकमुनिजी, श्री सत्यदेवमुनिजी और श्री अनुपममुनिजी। आप सब मुनिराजों के जीवन से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है।
आचार्य श्री सुशीलकुमारजी
आपका जन्म १५ जून १९२६ को हरियाणा के शिकोहपुर में हुआ । शिकोहपुर का वर्तमान नाम सुशीलगढ़ है । आपके पिता का नाम श्री सुनहरासिंहजी एवं माता का नाम श्रीमती भारतीदेवी था। आपके बचपन का नाम सरदार था । २० अप्रैल १९४२ को जगरांवां (हरियाणा) में पूज्य श्री छोटेलालजी के श्री चरणों में आपने आर्हती दीक्षा ली । प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू तथा अनेक विदेशी भाषाओं के आप ज्ञाता थे। शास्त्री, प्रभाकर, साहित्यरत्न, आचार्य, विद्यालंकार, विश्वसंत आदि उपाधियों के आप धारक थे। जैन धर्म-दर्शन के विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार हेतु आप जैनधर्म की परम्परागत मान्यताओं में क्रान्ति का स्वर मुखर करते हुए १७ जून १९७५ को हवाई यात्रा कर विदेश गये । लंदन, अमेरिका, कनाडा आदि देशों में आपने 'इन्टरनेशनल जैन मिशन' की स्थापना की। साथ ही 'विश्व अहिंसा संघ', 'सुशील फाउन्डेशन', 'विश्व धर्म संसद' आदि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org