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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास आदि का गहन अध्ययन किया और 'जैनागम श्रुतरत्न' तथा 'जैन सिद्धान्त विशारद' (पाथर्डी) की परीक्षा उत्तीर्ण की । प्रत्येक वर्षावास में आप उपवास, बेले, तेले, अठाई, एकान्तर तप आदि करते रहते हैं। आप श्रमणसंघीय सलाहकार, मन्त्री, उप-प्रवर्तक श्री सुमनमुनिजी के ज्येष्ठ शिष्य हैं। मुनि श्री गुणभद्रजी.
आपका जन्म पंजाब के खेयोवाली ग्राम में १८ नवम्बर १९३५ को हुआ। आपके पिता का नाम सरदार श्री काकासिंह तथा माता का नाम श्रीमती निहाल कौर था। २५ दिसम्बर १९८५ को श्री सुमनमुनिजी के सानिध्य में पंजाब के जैतो नामक ग्राम में दीक्षित हुए। दीक्षोपरान्त आपने स्वयं को वृद्ध और रुग्ण मुनियों को सेवा में समर्पित कर दिया। आप सरल, विनीत, संयमनिष्ठ और तपस्वी मुनि हैं। गुरुवर्य के सान्निध्य में जैनागम
और जैनेतर साहित्य का अध्ययन किया है। आप श्री सुमनमुनिजी के द्वितीय शिष्य हैं। मुनि श्री. लालमुनिजी
आपका जन्म पंजाब के खेयोवाली में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती निहाल कौर और पिता का नाम सरदार श्री काकासिंह था। १२ जनवरी १९९८ दिन सोमवार को हरियाणा के बड़ौदा (जींद) ग्राम में आप दीक्षित हुए। आप श्री सुमनमुनिजी के तृतीय शिष्य हैं। मुनि श्री प्रवीणमुनिजी
आपका जन्म १३ मार्च १९७३ को पंजाब के मौडमंडी में हुआ । आपकी माता का नाम श्रीमती विमलादेवी व पिता का नाम श्री हरिराम गोयल है। मुनि श्री सुरेन्द्रमुनिजी
___ आपका जन्म हरियाणा प्रान्त के कुरुक्षेत्र जिलान्तर्गत रादौर ग्राम में ई० सन् १९१७ के आस-पास हुआ। आपके पिता का नाम श्री कुन्दनलाल सैनी व माता का नाम श्रीमती कृष्णादेवी था। आपके बाल्यकाल का नाम केदारनाथ था। १९ वर्ष की आयु में २५ अक्टूबर १९३६ को विजयादशमी के दिन आचार्य श्री काशीरामजी के सानिध्य में आपने दीक्षा ग्रहण की। हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी आदि भाषाओं व जैन एवं जैनेतर दर्शनों के आप अच्छे ज्ञाता थे। १४ फरवरी १९९४ को हरियाणा के बराड़ा में आप समाधिमरण को प्राप्त हुये। वर्तमान में आपके तीन शिष्य विद्यमान हैं- श्री सुभाषमुनिजी, श्रीसुधीरमुनिजी
और श्रीसंजीवमुनिजी। मुनि श्री सुभाषमुनिजी
आपका जन्म १९ जनवरी १९५९ को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ। आपके पिता का नाम लाला कस्तूरीलाल बांठिया व माता का नाम श्रीमती महिमावती बांठिया
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