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आचार्य जीवराजजी और उनकी परम्परा वि० सं० १९६५ पौष कृष्णा चतुर्दशी को ६७ वर्ष की आयु में ४५ वर्ष की संयम साधना के बाद शाहपुरा में आपका समाधिमरण हुआ। आचार्य श्री प्रतापचन्दजी
__आपके विषय में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। इतना ज्ञात होता है कि मनि श्री नेमीचन्दजी के पश्चात् बेगू (चित्तौड़गढ़) में भव्य समारोह में आपको आचार्य पदवी प्रदान की गयी। आपके छ: शिष्य हुए- श्री चुनीलालजी, श्री कजोड़ीमलजी, श्री भूरालालजी, श्री छोगालालजी, श्री राजमलजी और श्री गोकुलचन्दजी।
मुनि श्री चुन्नीलालजी - आप आगम अध्येता और चिन्तनशील सन्त थे। तपस्या आपके जीवन का मुख्य लक्ष्य था। आपने कई वर्षों तक छाछ पीकर तप-साधना की थी। आपके सम्बन्ध में इससे अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।
मुनि श्री कजोड़ीमलजी - पूज्य आचार्य श्री प्रतापचन्दजी के बाद आप संघ के प्रमुख हुए। आपका जीवन अर्चनीय, वन्दनीय, श्रद्धेय तथा स्तुत्य जीवन था। एकान्त में बैठकर स्वाध्याय करना आपको प्रिय था। आपने ३१ बार मासखमण तथा ४१-५१ दिन की कठोर तपस्यायें भी की थीं।
मुनि श्री भूरालालजी - आपका जन्म माण्डलगढ़ के निकटवर्ती ग्राम सराणा के कमावत वंश में हआ था। बाल्यकाल में ही माता-पिता का वियोग प्राप्त हुआ। आप अपने छोटे भाई श्री छोगालाल के साथ माण्डलगढ़ आ गये। आचार्य श्री प्रतापचन्दजी के शिष्यों का योग मिला । दोनों भाईयों ने एक साथ श्रमण दीक्षा अंगीकार की। मनि श्री भूरालालजी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। अल्प समय में आगम ज्ञान के मर्मज्ञ हो गये। आप गुप्त तपस्वी थे। अपने तप का प्रसार-प्रचार आपको अच्छा नहीं लगता था। आपने २१ वर्ष तक एकान्तर तप किया। माण्डलगढ़ में ही आपका स्वर्गवास हआ। मुनि श्री छोगालालजी
आप मुनि श्री भूरालालजी के लधुभ्राता थे। आपको आगम ज्ञान के साथ-साथ अनेक भाषाओं का भी ज्ञान था। आपकी प्रवचन शैली अनुपम थी। मुनि श्री कजोड़ीमल के पश्चात् मेवाड़ संघ ने आपको आचार्य पद पर प्रतिष्ठित करना चाहा, किन्तु आपने पद लेने से इन्कार कर दिया। वि० सं० २००६ में ब्यावर में जो पाँच सम्प्रदायों का एकीकरण हुआ उसमें आपकी अहम् भूमिका थी। मेवाड़, मारवाड़ आदि प्रान्त आपके प्रमुख विहार क्षेत्र रहे हैं। ६० वर्ष की उम्र में नागौर में आपका स्वर्गवास हो गया।
मुनि श्री गोकुलचन्दजी - आपके विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। इतना ज्ञात होता है कि ७१ वर्ष का संयमपर्याय धारण करने के बाद आपका स्वर्गवास हुआ था।
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