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आचार्य लवजीऋषि और उनकी परम्परा मुनि श्री सुखीरामजी की शिष्य परम्परा मुनि श्री अमीलालजी
आपका जन्म वि० सं० १९४२ में जीन्द (हरियाणा) के नगूराँ ग्राम में हुआ। आपके पिताजी का नाम चौधरी बूटीराम था, जो जाटवंशीय थे। आपने गृहस्थ जीवन छोड़कर वि० सं० १९६५ वैशाख पूर्णिमा को पटियाला में मनि श्री सखीरामजी से दीक्षा अंगीकार की। दीक्षोपरान्त ४-५ वर्ष तक आप मुनि श्री मायारामजी की सेवा में रहे । ऐसी जनश्रुति है कि ३० आगम, शताधिक थोकड़े और ढालें आपको कण्ठस्थ थीं। आप दरदर्शी विचारवान और मधुरभाषी सन्त थे । वि० सं० २०१२ श्रावण शुक्ला पंचमी को जीन्दनगर में आपका स्वर्गवास हुआ।
आपके तीन शिष्य थे- श्री फूलचन्दजी, श्री रूपचन्दजी और श्री जुमन्दरमुनिजी । मुनि श्री रामलालजी
__ आपका जन्म वि०सं० १९४७ भाद्रपद कृष्णा नवमी को हरियाणा प्रान्त के बड़ौदा ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री सुखदयालजी और माता का नाम श्रीमती लाडोबाई था। मुनि श्री मायारामाजी के मंत्रों से आपको वैराग्य का बीज मंत्र प्राप्त हुआ। वि० सं० १९७१ मार्गशीर्ष कृष्णा चतुर्दशी को मुनि श्री सुखीरामजी से दीक्षा ग्रहण की। आपको आचार्य सिद्धसेन दिवाकर की रचना अति प्रिय थी और जीवन के अन्त तक आप उनकी रचनाओं का परिशीलन करते रहे । अध्ययन के साथ-साथ आपने योग-साधना पर भी विशेष बल दिया। वि०सं० २०२१ (ई० सन् १९६४) में हरियाणा प्रान्त के जीन्द में आप मायारामजी की परम्परा के समस्त साधुओं के संघनायक बने । वि०सं० २०२४ आश्विन कृष्णा पंचमी को आपका अमीनगर में स्वर्गवास हो गया।
आपके चार शिष्य हुए- श्री रामकृष्णजी, श्री रणसिंहजी, श्री शिवचन्दजी और श्री शिखरचन्दजी। मुनि श्री नेकचन्दजी.
आपका जन्म सोनीपत के राठधना में वि०सं० १९५६ में हुआ। आप प्रजापति जाति के थे । वि०सं० १९७६ में काहनी ग्राम में दीक्षा-व्रत धारण किया
और दिनाङ्क २७ मई १९६९ को संगरुर के मूनक नामक कस्बे में आप संथारापूर्वक स्वर्गस्थ हुए। मुनि श्री रामकृष्णजी
आपका जन्म रोहतक के बाबरा मोहल्ला में वि०सं० १९७० श्रावण कृष्णा तृतीया को हुआ। पिता श्री दौलतरामजी बंसल और माता श्रीमती पिस्तोदवी से आज्ञा
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