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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास
१५३२ में अपने मत की स्थापना का उल्लेख है। १७ किन्तु इस आधार पर अहमदाबाद को उनका जन्म स्थान नहीं माना जा सकता । उनका जन्म स्थान तो वर्तमान सिरोही जिले के अरहट्टवाड़ा नामक गाँव ही माना गया है । हीरकलश विरचित 'कुमति विध्वंसण चौपाई' (वि० सं० १६१७, ज्येष्ठ सुदि पूर्णिमा, कनकपुरी में रचित) में लोकाशाह को अहमदाबाद का निवासी बताया गया है१८, किन्तु यहाँ भी निवासी होने का सम्बन्ध उनके जन्म-स्थान का सूचक है - ऐसा नहीं माना जा सकता। सत्यता यह है कि उनका जन्म अरहट्टवाड़ा (सिरोही) में हुआ। प्रारम्भ में वे अरहट्टवाडा में ही रहे और बाद में व्यवसाय के निमित्त अहमदाबाद गये । तपागच्छीय यति कान्तिविजयजी ने अपनी कृति 'लोकाशाहनुं जीवन' (प्रभुवीर पट्टावली) में लोकाशाह का जन्म-स्थान अरहट्टवाड़ा बताया है। १ ९ आचार्य हस्तीमलजी ने 'जैनधर्म का मौलिक इतिहास' में आचार्य रायचन्द्र द्वारा वि०सं० १७३६ में रचित एक पातरिया गच्छ (पोतियाबन्ध) पट्टावली में लोकाशाह को लखमसी के नाम से अभिहित करते हुए उनका जन्म-स्थान खरंटियावास बताया है। २° किन्तु यह लखमसी का जन्म स्थान हो सकता है, लोकाशाह का नहीं।
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नागौरी लोकागच्छ की पट्टावली में लोकाशाह को जालौर नगर का निवासी बताया गया है २१, किन्तु यह भी अवधारणा भ्रान्त है । आचार्य हस्तीमलजी ने उस पट्टावली का जो सन्दर्भ दिया है उससे तो ऐसा लगता है कि लोकाशाह कभी जालौर गये होंगे और उन्होंने रूपचन्द्रजी को अपने सिद्धान्तों का उपदेश दिया होगा, क्योंकि उस सन्दर्भ में एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वहाँ लोकाशाह ने उन्हें स्पष्ट कहा है कि मैं घर जाकर तुम्हें सर्वसिद्धान्त लिखकर भेजूँगा (अठे तो लिख्यां जती लडे, सू जाय ने हू थाने सरव सिद्धान्त लिख मेलसूं)। २२ इस प्रकार हम देखते हैं कि लोकाशाह के जन्म-स्थान के सम्बन्ध में जालोर की अवधारणा समुचित नहीं है । यद्यपि जालोर से सम्बन्धित एक साक्ष्य मुनि नागचन्द्र कृत पट्टावली भी है । २३
लोकागच्छीय यति भानुचन्द्रजी ने उन्हें सौराष्ट्र के लीम्बड़ी नामक ग्राम में उत्पन्न बताया है२४, किन्तु उनकी इस अवधारणा का पोषण अन्य कहीं से नहीं होता है । इसी प्रकार लोकागच्छीय यति केशवजी ने 'चौबीस कड़ी के सिल्लोके' में लोकाशाह का जन्म सौराष्ट्र के नागवेश नामक ग्राम में नदी के किनारे होना माना है । २५ किन्तु इस मत के समर्थन में हमें अन्य कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं होता है । दिगम्बर भट्टारक रत्ननन्दीजी ने अपने ग्रन्थ 'भद्रबाहु चरित्र' (वि० सं० १६२५ में रचित) में लोकाशाह का जन्म पाटण के दशा पौरवाल कुल में बताया है । २६ इस प्रकार हम देखते हैं कि लोकाशाह के जन्म-स्थान को लेकर अरहट्टवाड़ा, लीम्बड़ी, पाटण, नागवेश, जालौर तथा अहमदाबाद आदि अनेक मान्यतायें हैं । इनमें न केवल गाँव या नगर के नाम को लेकर मतभेद है अपितु इनके प्रान्त भी
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