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[ २२ ]
चतुर्थ खंड
परम पद्धालु और कठोर साधनाओं में रत ती सम्यग्दृष्टि
के विचार और उसके कर्तव्य
२०३ से २३६
२०३ से २३२
ग्यारह प्रतिमाओं का उत्तरोत्तर पालन ग्यारह प्रतिमायें
दर्शन प्रतिमा
व्रत प्रतिमा
सामायिक प्रतिमा
प्रोषधोपवास प्रतिमा
सचित्त त्याग प्रतिमा
अनुराग भुक्ति त्याग प्रतिमा
ब्रह्मचर्य प्रतिमा
आरम्भ त्याग प्रतिमा
परिग्रह त्याग प्रतिमा
अनुमति त्याग प्रतिमा
उद्दिष्ट भोजन त्याग प्रतिमा
पंच अणुव्रतों की निर्मलता में उत्तरोत्तर वृद्धि
अहिंसा
सत्य
अचौर्य
ब्रह्मचर्य
अपरिग्रह
२०४
२०५ से २१६
२१६
२१७
२१८ से २२१
२२१-२२२
२२३
२२४ से २२६
२२७ से २२९
२३०
२३०
२३१--२३२
२३२ से ३६
२३३
२३३
२३४
२३४-२३५ २३५-२३६