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अट श्रद्धावान किन्तु साधनाओं से हीन
गृहस्थाश्रमी अव्रत सम्यग्दृष्टि
और उसके कर्तव्य
अव्रत सम्यग्दृष्टि
लिंगं च जिनं प्रोक्तं, त्रिय लिंग जिनागमं । उत्तम मध्य जघन्य च, क्रिया त्रैपन संजुतं ॥१९५॥
संसार के सन्मुख कि कहते, सत् सनातन वेद हैं । जो मोक्ष-साधक श्रेणियां हैं, तीन उनके मेद हैं। उत्तम प्रथम, मध्यम द्वितिय, जो तृतिय है वह जघन्य है । त्रेपन क्रिया से युक्त, इन सबका निकुंज सुरम्य है।
__ सर्वज्ञ भगवान मोक्ष साधक श्रेणियों को ३ विभागों में विभाजित करते हैं। प्रथम श्रेणी उत्तम, द्वितीय मध्यम व तृतीय जघन्य श्रेणी कहलाती है। ये तीनों श्रेणिये त्रेपन क्रियाओं का नित्यप्रति आचरण करने वाली होती हैं।