________________
[२०]
लोम
मान
माया
८५-८६ ८६ से ८९
८९ से ९१ क्रोध
९२ अंतरात्मा के कार्य
९३ से १०३ धर्मध्यान की साधना
९३ से ९७ धर्मध्यान के ४ भेद
९७ पदस्थ ध्यान
९८ से १०० पिण्डस्थ ध्यान
१००-१०१ रूपस्थ ध्यान
१०१-१०२ रूपातीत ध्यान देव गुरु और शास्त्र या सम्यग्दर्शन में अटूट श्रद्धा १०१ से १०६
तृतीय खंड अटूट प्रहाकान किन्तु साधनाओं से हीन १०९ से २०० गृहस्थाश्रमी अव्रत सम्यग्दृष्टि और उसके कर्तव्य १०९ अव्रत सम्यग्दृष्टि
१०९-११० स्थूल किन्तु ज्ञानमय १८ क्रियाओं का पालन १११ से ११३ ___ अव्रत सम्यग्दृष्टि के कर्तव्य
१११ से ११३ प्रगाढ सम्यग्दर्शन की ओर प्रवृत्ति
११३ से १२४ मोक्षपथ का आधार सम्यग्दर्शन
११३ से १२४ अष्ट मूलगुणों का पालन
१२४ से १२१ पंच उदम्बर
१२४-१२५ तीन मकार
१२६ से १२९