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[ १८ ]
प्रथम खंड
पृष्ठ १३ से २९
संसार : और यह कैसे मिटे ?
संसार, शरीर और भोग
संसार
शरीर
भोग
१५ से
मिथ्यात्व चार कषायें
से
लोभ .
क्रोध मान
माया तीन मूढ़तायें सम्यक् श्रद्धान में २५ दोष
२० से २२ मिथ्यात्व का अभाव या सम्यक्त्व का उदय ____२२ से २९ शुद्धात्मा का ध्यान
२५-२६ सोऽहं की अर्चना
२७ से २९ द्वितीय खंड आत्मा के तीन रूपः उनके लक्षण और कार्य
पृष्ठ ३२ से १०६ आत्मा के तीन रूप
परमात्मा