Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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षष्टाध्यायस्य प्रथमः पादः (बहुव्रीहिकर्मधारयगर्भितसमाहारद्वन्द्व:)। लस्य सार्वधातुकम्-लसार्वधातुकम् (षष्ठीतत्पुरुषः)। हनुश्च इङ् च तौ विडौ, न विगौ-अल्विडौ, तयो:-अल्विङोः (इतरेतरयोगद्वन्द्वगर्भितनञ्तत्पुरुषः)।
अनु०-अन्त इत्यनुवर्तते।
अन्वयः-तासि-अनुदात्तेत्-डित्-अदुपदेशाल्लसार्वधातुकम् अन्तोऽनुदात्तम्, अविङोः।
अर्थ:-तासेरनुदात्तेतो डितोऽकारोपदेशाच्चोत्तरं ल-सार्वधातुकमन्तानुदात्तं भवति, हनु-इङ्भ्यां परं वर्जयित्वा।
उदा०- (तासि:) कर्ता, कर्तारौ, कर्तारः। (अनुदात्तेत्) आस्ते, वस्ते। (डित्) सूते, शेते। (अदुपदेश:) तुदतः, नुदतः, पर्चत:, पठेत: ।
___ आर्यभाषा: अर्थ-(तासि०अदुपदेशात्) तासि प्रत्यय, अनुदात्तेत् धातु, ङित् धातु और पाणिनीय उपदेश में अ-वर्णवान् शब्द से उत्तर (लसार्वधातुकम्) लकार के स्थान में जो सार्वधातुक-संज्ञक प्रत्यय है, वह (अन्त:, अनुदात्तम्) अन्त अनुदात्त होता है।
उदा०-(तासि) कर्ता । वह कल करेगा । कर्तारौं । वे दोनों कल करेंगे। कर्तारः । वे सब कल करेंगे। (अनुदात्तेत्) आस्तै। वह बैठता है। वस्तै । वह ढकता है। (डित्) सूते। वह सूती (ब्याती) है। शेतै। वह सोता है। (अदुपदेश) तुदत: । वे दोनों पीड़ा देते हैं। नदतः। वे दोनों प्रेरणा करते हैं। पर्चतः। वे दोनों पकाते हैं। पठतः । वे दोनों पढ़ते हैं।
सिद्धि-(१) कर्ता। कृ+लुट् । कृ+तासि+त। कृ+तास्+त। कृ+तास्+डा। कृ+त्+आ। कर्+त्+आ। कर्ता।
यहां 'कृ' धातु से 'लुट्' प्रत्यय है। 'स्यतासी लुलुटो:' (३।१।३३) से तासि' विकरण प्रत्यय होता है। 'ल' के स्थान में तिप्तस्झि०' (३।४।७८) से त-आदेश है और इसकी तिशित् सार्वधातुकम्' (३।४।११३) से सार्वधातुक संज्ञा है। 'तास्' से उत्तर यह ल-सार्वधातुक 'त' प्रत्यय इस सूत्र से अनुदात्त है। लुट: प्रथमस्य डारौरस:' (२।४।८५) से 'त' के स्थान में 'डा' आदेश होता है। वा०-'डित्यभस्यापि टेर्लोप:' (६।४।१४३) से 'तास्' के टि-भाग (आस्) का लोप होता है। यहां अनुदात्त 'त' प्रत्यय के परे होने पर उदात्त 'आस्' का लोप होने से 'अनुदात्तस्य च यत्रोदात्तलोप:' (६।१।१६१) से अनुदात्त त' उदात्त हो जाता है।
(२) कर्तारौ'। यहां तासि' से उत्तर ल-सार्वधातुक 'आताम्' के स्थान में रौ' आदेश अनुदात्त है, इसे 'उदात्तादनुदात्तस्य स्वरित:' (८।४।६५) से स्वरित होता है।