Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्
(२) उपकूल॑म् । यहां उप और कूल शब्दों का 'अव्ययं विभक्तिसमीप० ' (२1१ 1६ ) से अव्ययीभाव समास है। इस सूत्र से अव्ययीभाव समास में कूल उत्तरपद को आद्युदात्त स्वर होता है। ऐसे ही - उपतीर॑म् आदि ।
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(३) सु॒षम॑म् । यहां सु और सम शब्दों का 'तिष्ठद्गुप्रभृतीनि च' (२ ।१ ।१६) से अव्ययीभाव समास है। 'सुविनिर्दुर्भ्यः सुपिसूतिसमा:' (८ । ३ ।८८) से षत्व होता है। उसके असिद्ध अधिकार में होने से यह यहां 'सम' शब्द ही माना जाता है। इस सूत्र से अव्ययीभाव समास में सम उत्तरपद को आद्युदात्त स्वर होता है। ऐसे ही वि॒षम॑म्, नि॒षम॑म्, दु॒षस॑म् ।
आद्युदात्तम्
(१२) कंसमन्थशूर्पपाय्यकाण्डं द्विगौ । १२२ । प०वि०-कंस-मन्थ-शूर्प-पाय्य - काण्डम् १।१ द्विगौ ७।१।
स०-कंसं च मन्थश्च शूर्पं च पाय्यं च काण्डं च एतेषां समाहारःकंसमन्थशूर्पपाय्यकाण्डम् (समाहारद्वन्द्वः) ।
अनु० - उदात्तः, उत्तरपदादिरिति चानुवर्तते ।
अन्वयः - द्विगौ कंसमन्थशूर्पपाय्यकाण्डम् उत्तरपदादि:, उदात्तः । अर्थ:-द्विगौ समासे कंसमन्यशूर्पपाय्यकाण्डानि उत्तरपदानि आद्युदात्तानि भवन्ति ।
उदा०- (कंसम्) द्वाभ्यां कंसाभ्यां क्रीत इति द्विकंसः । त्रिकंसः । ( मन्यः ) द्वाभ्यां मन्थाभ्यां क्रीत इति द्विमन्ध॑ः । त्रि॒मन्ध॑ः । (शूर्पम् ) द्वाभ्यां शूर्पाभ्यां क्रीत इति द्वशूर्पः । त्रि॒शूर्पः । (पाय्यम्) द्वाभ्यां पाय्याभ्यां क्रीत इति द्वि॒पाय्य॑ः । त्रि॒पाय्य॑ः । (काण्डम्) द्वे काण्डे प्रमाणमस्येति द्विकाण्डः । त्रिकाण्डः ।
आर्यभाषाः अर्थ- (द्विगौ) द्विगु समास में (कंस० काण्डम् ) कंस, मन्थ, शूर्प, पाय्य और काण्ड शब्द (उत्तरपदादि:, उदात्त:) उत्तरपद आद्युदात्त होते हैं ।
उदा०
- (कंस) द्विकंसे: । दो कंसों से खरीदा हुआ पदार्थ । त्रि॒कंसे । तीन कंसों से खरीदा हुआ पदार्थ । (मन्थ) द्वि॒मन्थे । दो मन्थों से खरीदा हुआ पदार्थ । त्रि॒मन्य॑ः । तीन मन्थों से खरीदा हुआ पदार्थ। (शूर्प) द्विशूर्प: । दो शूर्पों से खरीदा हुआ पदार्थ । त्रि॒शूर्पः । तीन शूर्पों से खरीदा हुआ पदार्थ । (पाय्य) द्वि॒पाय्य॑ः । दो पाय्यों से खरीदा हुआ पदार्थ । त्रि॒पाय्र्य्यः। तीन पाय्यों से खरीदा हुआ पदार्थ । (काण्ड ) द्विकाण्डे : | दो काण्ड प्रमाण (लम्बाई) वाला पदार्थ | त्रिकाण्डे । तीन काण्ड प्रमाणवाला पदार्थः ।