Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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षष्टाध्यायस्य द्वितीयः पादः
३४१ उदा०-सौशमिकन्यम् । उशीनर देशवासी सौशमिजनों की कन्था (बिछौना-विशेष)। आहरकन्थम् । आहरजनों की कन्था। चप्पकन्थम् । चप्पजनों की कन्था।
सिद्धि-सौशमिकन्थम् । यहां सौशमि और कन्था शब्दों का षष्ठी (२।२।८) से षष्ठीतत्पुरुष समास है। यह संज्ञायां कन्थोशीनरेषु' (२।४।२०) से नपुंसकलिङ्ग है। इस सूत्र से नपुंसकलिङ्गवाले तत्पुरुष समास में कन्था उत्तरपद को आधुदात्त स्वर होता है। आधुदात्तम्
(१५) आदिश्चिहणादीनाम्।१२५ । प०वि०-आदि: १।१ चिहण-आदीनाम् ६।३ । स०-चिहण आदिर्येषां ते चिहणादय:, तेषाम्-चिहणादीनाम् (बहुव्रीहिः)। अनु०-उदात्त:, तत्पुरुषे, नपुंसके, कन्था इति चानुवर्तते। अन्वय:-नपुंसके कन्थान्ते तत्पुरुषे चिहणादीनामादिरुदात्त: ।
अर्थ:-नपुंसकलिङ्गे कथान्ते तत्पुरुष समासे चिहणादीनां पूर्वपदानामायुदात्तो भवति।
उदा०-चिहणानां कन्था इति चिहणकन्थम् । मर्डरकन्थम् । आदिरित्यनुवर्तमाने पुनरादिग्रहणं पूर्वपदानामायुदात्तार्थं वेदितव्यम्।
चिहण । मडर (मडुर)। वैतुल । पटत्क । वैडालिकर्ण । वैतालिकर्ण। कुक्कुट । चित्कण । चिक्कण इति चिहणादयः ।।
आर्यभाषा: अर्थ-(नपुंसके) नपुंसकलिङ्ग में (कन्था) कन्था-शब्दान्तवाले (तत्पुरुषे) तत्पुरुष समास में (चिहणादीनाम्) चिहण आदि पूर्वपदों को (आदिः, उदात्त:) आधुदात्त होता है।
उदा०-चिहणकन्थम् । उशीनर देशवासी चिहणजनों की कन्था (बिछौना-विशेष)। मडरकन्थम् । मडरजनों की कन्था।
सिद्धि-चिहणकन्थम् । यहां चिहण और कन्था शब्दों का 'षष्ठी' (२।२।८) से षष्ठीतत्पुरुष समास है। यह संज्ञायां कन्थोशीनरेषु' (२।४।२०) से नपुंसकलिङ्ग है। इस सूत्र से नपुंसकलिङ्गवाले कन्थान्त तत्पुरुष समास में चिहण पूर्वपद को आधुदात्त स्वर होता है। ऐसे ही-मर्डरकन्थम् ।
यहां 'आदि:' पद की अनुवत्ति होने पर पुन: 'आदिः' पद का ग्रहण चिहण-आदि पूर्वपदों को आधुदात्त विधान के लिये किया गया है।