Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् (२) संज्ञापूरण्योश्च' (६।३ ।३८) से जहां पुंवद्भाव का प्रतिषेध किया है वहां इस सूत्रोक्त विषय में पुंवद्भाव होता है- (संज्ञा) दत्तवृन्दारिका । दत्ता नामक श्रेष्ठ नारी। दत्तजातीया । दत्ता नामिका विशेष नारी। दत्तदेशीया । दत्ता नामिका नारी से कम नहीं। (पूरणी) पञ्चमवृन्दारिका । पञ्चमजातीया । पञ्चमदेशीया।
(३) वृद्धिनिमित्तस्य च तद्धितस्यारक्तविकारे' (६।३।३९) से जहां पुंवद्भाव का प्रतिषेध किया गया है वहां इस सूत्रोक्त विषय में पुंवद्भाव होता है-सौनवृन्दारिका । त्रुघ्न जनपद की श्रेष्ठ नारी। सौनजातीया । त्रुघ्न जनपद की विशेष नारी । सौनदेशीया। त्रुघ्न जनपद की नारी से कम नहीं।
(४) 'स्वाङ्गाच्चेतोऽमानिनि' (६।३।४०) से जहां पुंवद्भाव का प्रतिषेध किया है वहां इस सूत्रोक्त विषय में पुंवद्भाव होता है-श्लक्ष्णमुखवृन्दारिका । कोमल मुखवाली श्रेष्ठ नारी। श्लक्ष्णमुखजातीया। कोमल मुखवाली विशेष नारी। श्लक्ष्णमुखदेशीया। कोमल मुखवाली नारी से कम नहीं।
(५) 'जातेश्च' (६।३।४१) से जहां पुंवद्भाव का प्रतिषेध किया गया है वहां इस सूत्रोक्त विषय में पुंवद्भाव होता है-कठवन्दारिका । कठ जाति की श्रेष्ठ नारी। कठजातीया। कठ जाति की विशेष नारी। कठदेशीया। कठ जाति की नारी से कम नहीं।
सिद्धि-(१) पाचकवृन्दारिका। यहां पाचिका और वृन्दारिका शब्दों का वृन्दारकनागकुञ्जरैः पूज्यमानम्' (२११६२) से कर्मधारय तत्पुरुष समास है। इस सूत्र से भाषितपुंस्क, ऊप्रत्यय से रहित स्त्रीलिङ्ग पाचिका शब्द को वृन्दारिका शब्द उत्तरपद होने पर पुंवद्भाव होता है। न कोपधाया:' (६।३।३७) से यहां पुंवद्भाव का प्रतिषेध प्राप्त था, यह सूत्र उसका बाधक है। ऐसे ही-दत्तवृन्दारिका आदि।
(२) पाचकजातीया। यहां पाचिका शब्द से 'प्रकारवचने जातीयर् (५/३।६९) से जातीयर् प्रत्यय है। इस सूत्र से भाषितपुंस्क, ऊप्रत्यय से रहित, स्त्रीलिङ्ग पाचिका शब्द को जातीयर् प्रत्यय परे होने पर पुंवद्भाव होता है। न कोपधाया:' (६।३।३७) से यहां पुंवद्भाव का प्रतिषेध प्राप्त था, यह सूत्र उसका बाधक है। ऐसे ही-दत्तजातीया आदि।
(३) पाचकदेशीया। यहां पाचिका शब्द से ईषदसमाप्तौ कल्पब्देश्यदेशीयरः' (५।३।६७) से देशीयर् प्रत्यय है। इस सूत्र से भाषितपुंस्क, ऊप्रत्य से रहित, स्त्रीलिङ्ग पाचिका शब्द को देशीयर् प्रत्यय परे होने पर पुंवद्भाव होता है। न कोपधाया:' (६।३।३७) से पुंवद्भाव का प्रतिषेध प्राप्त था। यह सूत्र उसका बाधक है। ऐसे ही-दत्तदेशीया आदि।
।। इति स्त्रिया: पुंवद्भावप्रकरणम् ।।