Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् तात्पर्य यह है कि "यहां भ-अधिकार तक के कार्य करने में किया हुआ भ-सम्बन्धी कार्य असिद्ध के समान हो जाता है” (गुरुवर पण्डित विश्वप्रिय शास्त्री)।
उदा०-एधि । तू हो। शाधि । तू शिक्षा कर। आगहि । तू आ। जहि । तू हिंसा कर (मार)।
सिद्धि-(१) एधि । अस्+लोट् । अस्+सिप्। अस्+शप्+सि । अस्+हि । स्+हि । ए+हि। ए+धि। एधि।
यहां 'अस भुवि' (अदा०प०) धातु से लोट् च (३।३।१६२) से लोट् प्रत्यय, तिप्तस्झि०' (३।४।७८) से लादेश सिप्', कर्तरि शप्' (३।१।६८) से 'शप्' विकरण-प्रत्यय और अदिप्रभृतिभ्यः शप:' (२।४।७२) से शप्' का लुक् और सेटपिच्च (३।४।८७) से 'सिप' को 'हि' आदेश होता है। ‘श्नसोल्लोपः' (६।४।१११) से 'अस्' के अकार का लोप और ध्वसोरेधावभ्यासलोपश्च' (६।४।११९) से शेष सकार को एकार आदेश होता है। इस अवस्था में हुझल्भ्यो हेर्धि:' (६।४।१०१) से हि' को धि' आदेश प्राप्त नहीं होता है, अत: उक्त एकार-आदेश को असिद्ध (न हुआ) मानकर धि' आदेश होता है।
(२) शाधि । शास्+लोट् । शास्+सिप । शास्+शप्+सि । शास्+o+हि। शा+हि। शा+धि। शाधि।
यहां शासु अनुशिष्टौ' (अदा०प०) धातु से लोट्' आदि कार्य पूर्ववत् है। शास्’ के स्थान में 'शा हौं' (६।४ (३५) से शा' आदेश होता है। इस अवस्था में हु झल्भ्यो हेर्धि:' (६।४।१०१) से 'हि' को 'धि' आदेश प्राप्त नहीं होता है, अत: उक्त शा-आदेश को असिद्ध मानकर 'धि' आदेश होता है।
(३) आगहि । आड्+गम्+लोट् । आ+गम्+सिप्। आ+गम्+शप्+सि । अ+गम्+हि। आ+To+हि। आगहि।
यहां आङ् उपसर्गपूर्वक 'गम्लु गतौ' (भ्वा०प०) धातु से पूर्ववत् लोट्' आदि कार्य हैं। 'बहुलं छन्दसि' (२।४।७६) से शप्' का लुक् होता है। अनुदात्तोपदेशवनतितनोत्यादीनामनुनासिकलोपो झलि क्ङिति' (६ । ।३७) से गम्' के अनुनासिक मकार का लोप होता है, तत्पश्चात् 'अतो हे:' (६।४।१०५) से 'हि' का लोप प्राप्त होता है, अत: उक्त अनुनासिक-लोप को असिद्ध मानकर हि' का लुक् नहीं होता है।
(४) जहि । हन्+लोट् । हन्+सिप् । हन्+शप्+सि। हन्+o+हि । ज+हि। जहि ।
यहां हन हिंसागत्योः ' (अदा०प०) धातु से 'लोट्' आदि कार्य पूर्ववत् है। 'हन्तेर्ज:' (६।४।३६) से हन्' के स्थान में ज' आदेश करने पर पूर्ववत् हि' का लुक प्राप्त होता है, अत: ज-आदेश को असिद्ध मानकर हि' का लुक् नहीं होता है।