Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम्
सिद्धि-अरिष्टपु॑रम् । यहां अरिष्ट और पुर शब्दों का 'षष्ठी' (२।२1८) षष्ठीतत्पुरुष
र-शब्द उत्तरपद होने पर अन्तोदात्त होता
समास है। इस सूत्र से अरिष्ट शब्द पूर्वपद पुर-३ है। ऐसे ही गौडपु॑रम् ।
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विशेष: (१) अरिष्टपुर - यह शिवि जनपद में शिवि क्षत्रियों की राजधानी थी (अरिट्टसाहनगर, चरिया पिटक १1८1१, शिविजातक ६ । ४०१ ।१२) ।
(२) गौडपुर - यह गौड देश बंगाल में था (पाणिनिकालीन भारतवर्ष, पृ० ७८ ) ।
अन्तोदात्तप्रतिषेधः
(१०) न हास्तिनफलकमार्देयाः । १०१ ।
प०वि०-न अव्ययपदम्, हास्तिन फलक- मार्देया: १ । ३ । सo - हास्तिनं च फलकं च मार्देयश्च ते - हास्तिनफलकमार्देया: (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) ।
अनु० - पूर्वपदम्, उदात्त:, अन्तः, पुरे इति चानुवर्तते । अन्वयः-पुरे हास्तिनफलकमार्देया: पूर्वपदम् अन्त उदात्तो न । अर्थ:-पुर-शब्दे उत्तरपदे हास्तिनफलकमार्देया: पूर्वपदानि अन्तोदात्तानि न भवन्ति ।
उदा०-(हास्तिनम्) हास्तिनस्य पुरम् इति हास्तिनपुरम् । (फलकम्) फलकपुरम्। (मार्देयः) मार्देयपुरम् ।
आर्यभाषाः अर्थ-(पुरे) पुर-शब्द उत्तरपद होने पर ( हास्तिनफलकमर्देया:) हास्तिन, फलक और मार्देय (पूर्वपदम् ) पूर्वपद ( अन्त उदात्त:) अन्तेदात्त (न) नहीं होते हैं। - ( हास्तिन) हास्तिनपुरम् । हास्तिन का ग्राम। (फलक) फलकपुरम् । फलक का ग्राम। (मार्देय) मार्देयपुरम् । मार्देय का ग्राम।
उदा०
सिद्धि-हास्तिनपुरम् । यहां हास्तिन और पुर शब्दों का षष्ठी (२ 121८) से षष्ठीतत्पुरुष समास है। इस सूत्र से पुर- शब्द उत्तरपद होने पर हास्तिन पूर्वपद को अन्तोदात्त का प्रतिषेध है, अत: 'समासस्य' (६ । १ । २१८) से समास को अन्तोदात्त स्वर होता है। ऐसे ही-फलकपुरम्, मार्देयपुरम् ।
विशेषः हास्तिनपुर कुरु जनपद की प्रसिद्ध राजधानी था। फलकपुर सम्भवत: फिल्लौर (जि० जालन्धर) और मार्देयपुर मंडावर (जि० बिजनौर) था ( पाणिनिकालीन भारतवर्ष, पु० ७८ ) ।