Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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षष्ठाध्यायस्य द्वितीयः पादः
३२७
आर्यभाषा: अर्थ- (बहुव्रीहि) बहुव्रीहि समास में तथा (संज्ञायाम्) संज्ञाविषय में ( उदराश्वेषुषु) उदर, अश्व और इषु शब्द उत्तरपद होने पर ( पूर्वपदम् ) पूर्वपद (अन्त उदात्त:) अन्तोदात्त होता है (क्षेपे) यदि वहां क्षेप= निन्दा अर्थ की प्रतीति हो
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उदा०-1 (उदर) कुण्डोदेर: । कुण्ड के समान उदर (पेट) वाला (संज्ञाविशेष)। घटोद॑रः । घट=घड़े के समान उदरवाला पुरुष (संज्ञाविशेष) (अश्व) कटुकाश्वः । कडवे स्वभाव के घोड़ेवाला पुरुष (संज्ञाविशेष ) । स्यन्दितार्श्वः । मन्द चाल के घोड़ेवाला पुरुष (संज्ञाविशेष) । (इषु) अनिघतेर्षुः । निघात से रहित बाणवाला पुरुष (संज्ञाविशेष) । च॒लाच॒लेषु॑ । अति चलायमान बाणवाला पुरुष (संज्ञाविशेष) ।
सिद्धि-कुण्डोद॑रः। यहां कुण्ड और उदर शब्दों का 'अनेकमन्यपदार्थे (२।२।२४) से बहुव्रीहि समास है। इस सूत्र से बहुव्रीहि समास, संज्ञाविषय तथा क्षेप ( निन्दा) की प्रतीति में उदर शब्द उत्तरपद होने पर कुण्ड पूर्वपद को अन्तोदात्त स्वर होता है। ऐसे ही घटोदेर: आदि ।
अन्तोदात्तम्
(१८) नदी बन्धुनि । १०६ ।
प०वि०-नदी १ ।१ बन्धुनि ७ । १ । अनु०-पूर्वपदम्, उदात्त:, अन्त:, बहुव्रीहौ इति चानुवर्तते । अन्वयः - बहुव्रीहौ बन्धुनि नदी पूर्वपदम् अन्त उदात्तः । अर्थ:- बहुव्रीहौ समासे बन्धु-शब्दे उत्तरपदे नदी-संज्ञकं पूर्वपदमन्तोदात्तं
भवति ।
उदा०-गार्गी बन्धुर्यस्य सः- गा॒र्गीब॑न्धुः । वा॒त्सीब॑न्धुः ।
आर्यभाषाः अर्थ-(बहुव्रीहौ) बहुव्रीहि समास में (बन्धुनि) बन्धु शब्द उत्तरपद होने पर (नदी) नदी-संज्ञक (पूर्वपदम् ) पूर्वपद ( अन्त उदात्त:) अन्तोदात्त होता है ।
उदा० - गार्गीर्बन्धुः । गार्गी है बन्धु जिसका वह गार्गीबन्धु । जो गार्गी जैसी महाविदुषी ऋषिका के बन्धुभाव से अपना श्रेष्ठत्व सिद्ध करना चाहता है वह गार्गीबन्धु कहाता है। वा॒त्सीब॑न्धुः । वात्सी है बन्धु जिसकी वह वात्सीबन्धु ।
सिद्धि०- गा॒र्गीब॑न्धुः । यहां गार्गी और बन्धु शब्दों का 'अनेकमन्यपदार्थे' (२/२/२४) से बहुव्रीहि समास है। इस सूत्र से बहुव्रीहि समास में बन्धु शब्द उत्तरपद होने पर नदी -संज्ञक 'गार्गी' पूर्वपद को अन्तोदात्त स्वर होता है। गार्गी शब्द की 'यू स्त्र्याख्यौ नदी' (१/४/४) से नदी संज्ञा है। ऐसे ही-वा॒त्सीब॑न्धुः ।