Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
View full book text
________________
पाणिनीय-अष्टाध्यायी प्रवचनम्
सिद्धि - (१) वेणुः | अज+णु। वी+णु । वे+सु । वेणु + सु । वेणुः ।
यहां ‘अज गतिक्षेपणयो:' ( भ्वा०प०) धातु से 'अजिवृरीभ्यो निच्च' (उणाव ३ | ३८) से 'णु' प्रत्यय है । 'अजेर्व्यघञपो: ' (२/४ / ५६ ) से 'अज' के स्थान में 'वी' आदेश होता है। 'सार्वधातुकार्धधातुकयोः' (७।३।८५ ) से 'वी' को इगन्तलक्षण गुण होता है। इस सूत्र से वेणु' शब्द आद्युदात्त होता है । 'णु' प्रत्यय के नित् होने से 'ञ्नित्यादिर्नित्यम्' (६ । १ । १६१ ) से नित्य आद्युदात्त प्राप्त था । इस सूत्र से विकल्पविधान किया गया है।
२१४
( २ ) इन्धन: । इन्धु + चानश् । इन्ध्+आन । इन्धान+सु । इन्धनः । यहां 'ञिइन्धी दीप्तौँ' (रुधा. आ.) धातु से 'ताच्छील्यवयोचनशक्तिषु चानश् (३ । २।१२९) से 'चानश्' प्रत्यय है । अत: चित:' ( ६ । १ । १५८) से अन्तदोत्त स्वर प्राप्त था, इस सूत्र से विकल्प से आद्युदात्त स्वर विधान किया गया है। पक्ष में पूर्ववत् अन्तोदात्त भी होता है- इन्धान: ।
(क) इन्ध्+लट् । इन्ध् + शानच् । इ श्नम् न् ध्+आन। इ न न् ध्+आन । इन ध्+आन । इन् ध्+आन । इन्धान+सु । इन्धानः ।
यहां पूर्वोक्त 'इन्ध' धातु से 'लट: शतृशानचा०' (३ । २ । १२४ ) से लट् के स्थान में शानच् आदेश है। 'रुधादिभ्यः श्नम् ' ( ३ | १/७८ ) से 'श्नम्' विकरण- प्रत्यय होता है । 'श्नान्नलोप:' (६ । ४ ।२३) से 'श्नम्' से उत्तरवर्ती नकार का लोप होता है। 'तास्यनुदात्तेत्०' (६ /१/१८०) से धातु के अदुपदेशवान् होने से (श्नम् ) ल-सार्वधातुक 'शानच्' को अनुदात्त स्वर प्राप्त होता है । अनुदात्त 'शानच्' के परे होने पर 'श्नसोरल्लोप:' ( ६ । ४ ।१११) से उदात्त 'श्नम्' के अकार का लोप होता है । अत: 'अनुदात्तस्य च यत्रोदात्तलोपः ' (६/१/१५६) से मध्योदात्त स्वर होता है - इन्धाने: ।
आद्युदात्त- विकल्पः
(५६) त्यागरागहासकुहश्वठक्रथानाम् ॥ २१३ । प०वि०-त्याग-राग-हास- कुह-श्वठ-क्रथानाम् ६।३ । स०-त्यागश्च रागश्च हासश्च कुहश्च श्वठश्च क्रथश्च तेत्याग०क्रथा:, तेषाम् - त्याग०क्रथानाम् (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) । अनु०-उदात्त:, आदि:, विभाषा इति चानुवर्तते । अन्वयः - त्यागरागहासकुहश्वठक्रथानां विभाषाऽऽदिरुदात्तः । अर्थ:-त्यागरागहासकुहश्वठक्रथानां शब्दानां विकल्पेनादिरुदात्तो
भवति ।