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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - अपसर्जन शब्द | १७
अफेनो महिफेने स्यात्फेनहीने त्रिलिंगकः । अब्जं नपुंसकं पद्मे शतकोटावपि स्मृतम् ॥ ८२ ॥
हिन्दी टीका - अपसर्जन शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. दान २. परित्याग ( छोड़ देना) और ३. अपवर्ग (छुटकारा ) । अपहार शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं१. अपचय ( ह्रास) २. चौर्य (चोरी करना) और ३. संगोपन ( छिपाना ) । इस प्रकार अपरार्जन के तीन और अपहार शब्द के भी तीन अर्थ समझना चाहिए। अफेन शब्द महोफेन ( पृथ्वी का फेन) अर्थ में पुल्लिंग है किन्तु फेनहीन अर्थ में त्रिलिंग है क्योंकि फेनहीन सभी हो सकता है । नपुंसक अब्ज शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. पद्म और २. शतकोटि (वज्र ) । इस प्रकार अपसर्जन शब्द के तीन, अपहार शब्द के भी तीन एव अकेन शब्द के दो और नपुंसक अब्ज शब्द के दो अर्थ जानना चाहिए ।
मूल :
पुमान् धन्वन्तरौ चन्द्रे शंखे निचुलपादपे । अभ्रमभ्रात स्यान्मेघे गगनमुस्तयोः ॥ ८३ ॥ योजनाऽभिग्रहोद्यमे ।
अभियोगोऽपराधादि अभिरूपः शिवे विष्णौ चन्द्रे कामे पुमान् स्मृतः ॥ ८४ ॥
हिन्दी टीका - पुल्लिंग अब्ज शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. धन्वन्तरि ( वैद्य) २. चन्द्र, ३. शंख, ४. निलवृक्ष (जल स्थित वेतस, बेंत ) । इस प्रकार पुल्लिंग अब्ज शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए । अभ्र शब्द नपुंसक है और उसके भी चार अर्थ होते हैं - १. अभ्रक धातु (अवरख) २. मेघ, ३. गगन ( आकाश ) और ४. मुस्ता (मोथा) । इस प्रकार अभ्र शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए । अभियोग शब्द पुल्लिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं - १. अपराध ( गुनाह ) (आदि शब्द से फरियाद करना, मुकद्दमा चलाना वगैरह भी अभियोग कहलाता है) २ योजना ( कार्यक्रम ) ३. अभिग्रह ( युद्धादि में ललकारना - भर्त्सना) ४. उद्यम (उद्योग व्यवसाय) इस प्रकार अभियोग शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए। अभिरूप शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं - १ शिव (शंकर) २. विष्णु (नारायण) ३. चन्द्र, और ४. काम (कामदेव) इस तरह अभिरूप शब्द के भी चार अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
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पण्डिते रमणीये च कथितो वाच्यलिंगकः । अभिषंगस्तु शपथ - आक्रोशे च पराजये ॥ ८५ ॥ मिथ्यापवादे संश्लेषे भूतावेशे पुमान् मतः ।
नाकः स्वर्गेऽन्तरिक्षे च खड्गे बाणे च सायकः ।। ८६ ।।
हिन्दी टीका - अभिरूप शब्द पण्डित और रमणीय (सुन्दर) अर्थों में वायलिंगक (विशेष्य निघ्न मुख्य अर्थानुसार लिंग वाला तीनों लिंग) माना जाता है । अभिषंग शब्द भी पुल्लिंग है और उसके छ अर्थ होते हैं - १ शपथ ( सौगन्ध - कसम खाना) २. आक्रोश (चिल्लाना - निन्दा करना) ३. पराजय ( हराना पराजय प्राप्त करना हार जाना ) ४. मिथ्याऽपवाद (झूठा आरोप कलंक) ५. संश्लेष (आलिंगन ) ६. भूतावेश ( ग्रहावेश-भूत लगना) । इस प्रकार अभिषंग शब्द के छह अर्थ जानना । नाक शब्द भी पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. स्वर्ग, २. अन्तरिक्ष (आकाश मध्य) । सायक शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं - १. खड्ग (ढाल) २. बाण । इस तरह नाक शब्द के दो और सायक शब्द के भी दो अर्थ होते हैं ।
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