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कर्पूरचकर
(१५) आइथे आरोगी लोयाणं हवाइ समपत्ती । रायासुतेजसुयो अ सवित्तीयं किंचिवि भयं ॥६॥ चंदेहि नरवराणं आरुग्गा सुहं च धणबुडूडी। थोयजला अन्ननिप्पत्ती अमियरसोहोइ पुढवीए ॥६८॥ 'दुन्भिवं रायदुक्खं यहाणपनीवा महाघोरा। जुज्झति रायपुरिसा भूमे अरिभयं गणियं ॥१९॥ रह रिद्विविणासो ठाणभंसं च रायपज्जाणं । मक्ख पुरेहि भंगो नयरदेसस्स संहारो ॥७॥ बहुदुद्धा गोमहिसी सस्सनिप्पती च बहुमेहा । रायमुई नत्यि भयं उतमणियासु जीवेण ॥७॥ मंदे नरवरमरणं उवद्दवं सयललोयमजकरिम । दिय दूसगाय लोया घरि घरि भमंति कुलवहा ॥७२॥ यालयोसिसुमरणं धणनासं च रोगसंभवो । ठाणे ठाणे रायागं संहारं च बुहे नर ॥७॥
सूर्यकल----लोक सुखी, धान्ध की सनान प्राप्ति, राजाओं में पराकाता और ब्राह्मणों को कुछ भय हो ॥ ६७ ॥ चन्द्रकल-राजा प्रजा सुखी और आरोग्य हो, धन की वृद्धि हो, जल थोड़ा, अनाज की प्राष्टि और पृथ्वी अमृत रसवाली हो ॥६८॥ मंगलफल-दुर्भिक्ष, राजा को कट, हाथी घोड़ा का विनाश तारक बड़ा भयंकर राजपुरुषों का युद्र हो, और शशु का भय हो ॥६६॥ राहुल---ऋद्धि का विनाश, राजा प्रजा के स्थान का विनाश और उसको महादुः ब, पुर का भंा और देश नगर का विनाश हो ७०॥ गुरुल -गौ भैस बहुत दूब दें, धान्य की उत्पत्ति हो, वर्षा बहुत हो, राजाओं को मुख हो और भय न हो ॥७१॥ शनिकल---- राजा का मण, सात लोक में उपद्रव, लोकों में दुषण त रा घर घर कुलार भरकती फिरे ॥७२॥ बुधफल --- बालक स्त्री का मरण, धन का
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