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वर्ष ]
श्री बहादुर सिंहजी सिंघीके पुण्य स्मरण [ १९
दोनों लिपियोंमें 'श्री केसरकुमारी जैन ग्रंथ (पुस्तक) संग्रह - शान्तिनिकेतन' इतना लिखा हो । आपकी राय में यह ठीक नहीं जंचता हो और लेबल ही होना चाहिए, तो वो कैसा होगा इस बातका रूबरू में ठीक विचार हो सकेगा । तख्तपोश दूसरे एक उज़न भी बन चुके हैं । इससे अब लंबाई बढ़ नहीं सकती । ६ फूट याने ४ ॥ हाथ लंबा है साधारण आदमियों की लंबाई ३॥ हाथ होती है विस्तरके लिये क्या एक हाथ जगह काफी नहीं है ?
पालीताणा गुरुकुलकी वार्षिक रिपोर्ट १ आपके पास इसलिये भेजते हैं कि अपने छात्रालयका हिसाब-किताब कैसे रखा जाना चाहिए इसका कोई idea इससे लेना हो तो लिया जा सकता है ।"
इस तरह 'सिंधी जैन छात्रालय' का सब सामान स्वयं तैयार करवा कर सिंधीजीने कलकत्ते आदिसे शान्तिनिकेतन पहुंचाया और जब विद्यार्थी वहां पर व्यवस्थित हो गये तब उनके खान-पान आदिका भी कैसा प्रबन्ध रहना चाहिये और वह किस तरह दिया जाना चाहिये इस बारे में भी उन्होंने एक पत्र में विस्तारसे हमको लिख भेजा जो उनकी सब तरहकी सतर्कताका सूचक हो कर कर्तव्यनिष्टाका द्योतक है। इस पत्रका वह अंश इस प्रकार है -
..." लडके लोगोंके कार्यक्रमका रुटीन ( Routine ) तैयार हो गया होगा । शान्तिनिकेतनके स्कूलमें attend करने के सिवाय जैन धार्मिक पाठ, खान-पान वगैरह सब कामों का टाईम निरूपण कर दिया होगा। एक कापी हमें भेज दीजियेगा, और वे लोग उसी माफीक नियमसे सब काम करते रहें इस बातका निगाह रखियेगा । हां, उन लोगोंके खुराकके बारेमें जो लीस्ट यहां आपकी उपस्थिति में पहले तैयार किया गया था वो तो शायद कुछ ठाकुर की वजहसे और कुछ अन्य कारणोंसे अभी निर्दिष्टरूपसे काममें नहीं आता होगा और जब तक एक अच्छा ठाकुर और एक योग्य सुपरिन्टेन्डेंट न आ जाय तब तक - हम जहां तक देखते हैं - काममें आ भी नहीं सकता । वर्तमान स्थिति में जो कुछ खुराक उनके लिये बन सकता है उसे सोच कर हम एक लीस्ट तैयार करके भेजते हैं। आप इसे देख कर इसी सूरत उन सब लोगोंको खुराक दी जाय इसकी सबको ताकीद कर दीजियेगा । पूजाकी छुट्टियों तक तो यही चलेगा, बाद उसके जो इन्तजाम होगा सोच लिया जायगा ।
सुबह पढने जानेके पहले
दो दो नमकीन खाखरे, डेढपाव पक्का दूध । चाय किसी हालतमें इस वख्त न दी जाय और दूध डेढपावसे कम न हो ।
रसोईके वस्त
भाटेका फुलका या टिकडा जिसको जितना रुचि हो, भात रुचि माफिक, दाल जितना रुचि हो । तरकारी सब्जीकी कमसे कम दो होनी चाहिये। उसमें एक घीमें और एक तैलमें। अगर किसी कारणसे किसी रोज एक ही तरकारी हो तो घीमें हो । हफ्तामें दो रोज बोलपुरमें हाट लगता है उसमें तरकारी काफी तादाद में मिल सकती है, सो हाटसे मंगा लेनेसे तीन रोज चल सकेगा ।
आधपाव दही में आधा पाव जल और थोडा नमक मिला कर मट्ठेके माफिक करके या आधपाव दहीमें चीनी मिला कर भात उसमें डाल कर दही भात ।
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