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२०२] भारतीय विद्या
[वर्ष ३ अर्थदृष्टिए विचार करतां केटलीक जग्याए शब्द-भ्रान्ति देखाय छे अने तेथी स्पष्ट अर्थावबोध थतो नथी । पाटण विगेरेना भंडारोमां आनी कोई बीजी प्रति हजी सुधी जोवा-जाणवामां आवी नथी, तेथी अत्यारे तो अहिं फक्त, उक्त बीकानेरवाळी प्रतिमां जेवो ए रास लखेलो मळी आव्यो छे तेवो ज अहिं प्रकट करवामां आवे छ । अभ्यासियो प्रति निवेदन छे के आ कृतिनी जो कोई अन्य प्रति उपलब्ध थाय तो तेना आधारे आनी वधारे सारी संशोधित आवृत्ति प्रकट करवा प्रयत्न करे। ___ रासनो विषय जीवदयानो प्रभाव सूचवनारो छे, पण ते तो थोडीक ज पंक्तियोमा कहेवामां आव्यो छे। सामान्य रीते तो एमां धर्म अने सत्कर्म पूर्वक जीवन व्यतीत करवानो उपदेश आपवामां आव्यो छे । “संसार मिथ्या छे, जीवित अस्थिर छे, माता-पिता-भाई-पुत्र-कलत्र-खजन विगेरेना सर्वे संबंध खार्थमूलक छे, इन्द्रियोना भोगो परिणामे दुखनां कारण छे, माटे मनुष्ये धर्मनुं आराधन कर, जोइए । धर्मना आराधनथी प्राणीने परजन्ममां सुखनी प्राप्ति थाय छे। धर्मना फलरूपे मनुष्यने राज्यऋद्धि, समृद्धि, सुपरिवार, धन, कंचन, वस्त्र, आभूषण आदि सर्व वस्तुओनी प्राप्ति थाय छे। धर्मर्नु उत्तम प्रकारे पालन करवाथी मनुष्य छेवटे मोक्ष पण प्राप्त करे छे। कलियुगमा धर्मर्नु आचरण शिथिल थई गयुं छे अने लोकोमा व्यावहारिक मानमर्यादा पण ढीली थई गई छ । आ कलिना प्रभावथी मनुष्यो-मनुष्यो वच्चना जीवन-धोरणमां पण मोटी विषमताओ देखाय छ । कोई तो पगे भटकी भटकीने मरी रह्या छे ने कोई सुखासनोमांथी हेठा उतरतां पण कष्ट माणे छे । केटलाक माणसो ज्यारे भूखथी टळवळ्यां करे छे त्यारे केटलाक खूब मालपाणी उडाड्यां करे छे । केटलाक माणसो सुंदर रमणियो साथे विविध भोगो भोगवता थाकता नथी त्यारे केटलाक माणसो बीजाने त्यां दासकर्म करता करता मरी जाय छे अने जीवता पण मुवा जेवा देखाय छे । पण आ बधुं पोताना कर्मनुं ज फल छ । कर्मना फलथी ज बलिराय जेवो नवनिधाननो खामी नरकमां गयो, हरिश्चन्द्र जेवाने चंडालना घरे पाणी भरवु पड्यु, रामलक्ष्मणने वनमां भटकवू पड्यु, रावण जेवा महा प्रतापीनो संहार थयो । माटे संसारमा कोइए गर्व न धारण करवं अने दानधर्म करी जीवनने पवित्र बनावतुं । संसारमा कोई अमर रह्यं नथी। भरतचक्रवर्ती, कृष्णवासुदेव, श्रेणिकराजा आदि मोटा नृपतियो पण चाल्या गया; तेम ज गोतमखामि, वज्रखामि, स्थूलिभद्र आदि महामुनियो पण चाल्या गया। माटे जगत्मा जो स्थिर नाम राखq होय तो उज्जेणीना विक्रमादित्य, अणहिलपुरना जयसिंह राय अने कुमारपाल आदिनी जेम
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