Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 405
________________ वर्ष] चित्र परिचय [२४१ लखाएली छे, जे वखते त्यां चाहमान वंशीय विग्रहराज ऊर्फे विश्वलदेव राजाधिराज हतो. इतिहास प्रसिद्ध पृथ्वीराज चौहाणनो ए प्रपिता थाय. एना उपर चढाई करीने कुमारपाळे एने पोतानो आज्ञाधीन बनाव्यो हतो. ए पुस्तकना अन्ते आ प्रमाणे पुष्पिका लेख लखेलो छ - संवत् १२१२ चैत्रसुदि १३ गुरौ ॥ अोह श्री अजयमेरुदुर्गे समस्तराजावलीविराजित परमभट्टारकमहाराजाधिराजश्रीविग्रहदेवविजयराज्ये। उपदेशपदटीकाऽलेखीति ॥ छ ॥ कल्याणमस्तु ॥ छ॥ ७ चित्रांक (३) आ प्रतिकृति 'भगवद्गीता - शांकरभाष्य'नी ताडपत्रीय पुस्तकनां आधन्त पानाओनी छे. प्रतिमां लख्या साल आपेली नथी तेथी ए निश्चितरूपें न कही शकाय के केटली जूनी ते हशे. परंतु अक्षरोनां वळण अने प्रतिनी स्थिति उपरथी अनुमान करी शकाय के ते वि. सं. १३०० नी पहेला लखाएली होवी जोईए. शांकरभाष्यनी ताडपत्रनी अने आटली जूनी कोई अन्य प्रति जाणवामां नथी आवी, तेथी ए एक मूल्यवान् प्रति गणी शकाय तेवी छे. ८ चित्रांक (४) केटलीक ताडपत्रीय प्रतोनां आद्यन्त पानाओमां तीर्थकरोनां, देवीओनां, साधु अने श्रावको आदिनां चित्राङ्कणो करेलां मळी आवे छे, जे चित्रकलाना अभ्यासनी अपेक्षाए बहु उपयोगी वस्तु गणाय छे. तेथी आवां केटलांक पानाओनां, में त्यां फोटाओ लेवडावी लीधां हतां जेमांना थोडांकनां नमूनारूपे, अहिं आ चित्रो आपवामां आव्यां छे. आ पृष्ठमांना प्रथम अने त्रीजा पत्रमा तीर्थंकरनी मूर्तियो चित्रित करेली छे. बीजा पत्रमा आचार्यनी व्याख्यान सभानुं दृश्य आलेखेलुं छे. चित्राङ्कण एकंदर सुन्दर अने सुरेख छे. सौथी नीचेना पत्रमा सरखती देवीनुं सुन्दर आलेखन करेलुं छे. देवीनी मुखाकृति बहु ज भाववाही अने प्रसन्न-गंभीर छे. एने ४ हाथ छे जेमां बे हाथथी वीणा वगाडी रही छे अने बीजा बे हाथमां घणु करीने करताल धारण करेली छे. बाजूमां नानकडो हंस चीतरेलो छ जे एनुं वाहन गणाय छे. फोटो बहु सारो न आववाथी चित्र बहु स्पष्ट नथी आव्यु. ९ चित्रांक (५) आ पण तेवा ज सचित्र पानाओनां चित्रोना एक नमूनारूपे छे. एमां मध्यना पत्रमा सरस्वती देवीनी उभी आकृतिनुं चित्र छे जे विरल मळे छे. सिद्धहैमव्याकरणनी एक प्रतिना अन्तना पत्रमा आ चित्र अंकित करेलु छे. आ प्रति बहु जूनी होय तेम लागे छे - एटले के हेमचन्द्राचार्यनी हयातीमां ३.१.२९ B. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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