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२००] भारतीय विद्या
[वर्ष ३ कर्णदेवना राज्यना अन्तसुधी तो ए ज कायस्थ खानदान अणहिलपुरना राजकीय दफतर खातामां अग्रणी अधिकार भोगवतुं हतुं एवं, आपणे आ ताम्रशासनोना लखाणो उपरथी जाणी शकीए छीए । . आ ताम्रपत्रमा दूतक तरीके जे महासान्धिविग्रहिक भोगादित्यनुं नाम मळे छे ते कर्णदेवना उक्त सं० ११३१ वाळा ताम्रपत्रमा पण अंकित छ । __भीमदेवना राज्यकालनुं आ छेल्लु ताम्रपत्र होय एम जणाय छे । प्रबन्धचिन्तामणिमां आपेली मिति प्रमाणे वि० सं० ११२० ना चैत्र वदि ७ ना दिवसे कर्णदेवनो राज्याभिषेक थयो हतो तेथी सामान्यरीते ए ज मितिए भीमदेवर्नु मृत्यु थएडं आपणे मानवू जोइए । ए हीसावे भीमदेवना अवसान काल पूर्व सवा त्रण मास उपर ज ए दानपत्र करवामां आव्यु हतुं, एम कही शकाय ।
भीमदेवनो संवत् १०८७ नो एक अप्रकाशित
संक्षिप्त शिलालेख.
जैनोना सुप्रसिद्ध तीर्थस्थान कुंभारीया (प्राचीन आरासण )मा शान्तिनाथना मन्दिरमा एक जैन मूर्ति छे जेना उपर नीचे आपेलो लेख अंकित थएलो छ ।
९ श्रीमविक्रमभूभृतः स्वर-वसुव्योंमेन्दु-संख्याख्यया ख्यातेऽब्दे प्रवरे सुसौख्यमवति श्रीभीमभूपे भुवम् । नन्नाचार्यगणस्य भूषणकरे स्वारासणस्थानके बिम्बं पूज्यमकारि सूरिभिरिदं श्रीसर्वदेवाभिधैः॥
अंकतः १०८७ आषाढ शुदि २॥ आ लेखनो सार ए छे के वि. सं. १०८७ मां ज्यारे भीमदेव पृथ्वीनुं सुखरूपथी पालन करतो हतो, त्यारे नन्नाचार्यगच्छना सर्वदेवसूरिए आ जिनबिम्बनी प्रतिष्ठा करी ।
‘भीमदेवना प्रचण्ड दण्डनायक प्राग्वाट विमलसाहाए आबूनुं जगप्रसिद्ध ऋषभनाथनुं जैन मन्दिर प्रतिष्ठित कर्यु तेना एक वर्ष पहेलां आरासणना शान्तिनाथना मन्दिरमा ए प्रतिष्ठा कार्य थयुं हतुं एम आ लेख परथी जणाय छ ।
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