Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 353
________________ अंक १] चालुक्य भीमदेव प्रथमर्नु एक ताम्रपत्र [१९९ छे । अने ए भीमदेवना जीवनना छेल्ला दिवसोनुं ज्ञापक होई खूब अगत्यनुं छ । आ शासनपत्र पण उक्त त्रणे शासनपत्रोनी तद्दन समान शैलीए ज लखाएलुं छ । प्रथमनां त्रणे शासनोनो लेखक ज्यारे कायस्थ कांचनसुत वटेश्वर छे, त्यारे प्रस्तुत शासननो लेखक ए वटेश्वरनो पुत्र केकक छ । ए केकक (अथवा केकाक) नुं नाम, भीमदेव पुत्र कर्णदेवना संवत् ११३१ ना नवसारीवाळा ताम्रपत्रमां, तेम ज संवत् ११४८ ना सूनकवाळा ताम्रपत्रमा पण मळे छ । सं०११३१ वाळा शासनपत्रमा ज्यारे तेनो निर्देश सामान्य लेखक तरीके (राज्यशासन लखनार) ज करवामां आवेलो छे त्यारे ११४८ वाळा शासन पत्रमा तेने 'आक्षपटलिक' नी उपाधिथी अंकित करेलो छ । एथी जणाय छे के ते वखते ए, राज्यना समस्त दफतर विभागनो सर्वोपरि अधिकारी बन्यो हतो। ए उपरथी आपणने ए पण जाणवा मळे छे के केकाकनु खानदान ठेठ मूलराजना राज्यसमयथी ज अणहिलवाडना राजकीय दफतरखाना साथे अव्यवहित रूपे संकळाएलु चाल्यु आवतुं हतुं। वि० सं० १०४३ वाळु मूलराजनुं ताम्रशासन जे कडी गाममाथी मळी आवेलं, तेनो लेखक कायस्थ कांचण छे, जे जेज्जाकनो पुत्र हतो अने आपणा आ प्रस्तुत ताम्रपत्रना लेखक केककनो प्रपिता थतो हतो। मूलराजना सं. १०५१ वाळा बीजा ताम्रशासननो लेखक पण एज कांचन छ । आ रीते ठेठ मूलराजथी लई फ्लीटनी अगाउ १२ वर्ष उपर डॉ. ब्युलरे (इन्डि. एन्टि., पु. ६, पृ० १९३-४) उपर्युक्त सं० १०८६नुं प्रथम भीमदेवनुं जे दानपत्र प्रकट कयु हतुं तेमां लेखक तरीके ए ज कायस्थ कांचनपुत्र वटेश्वरनुं अने दूतक तरीके ए ज महासांधिविग्रहिक चंडशर्मानुं नाम उल्लिखित होवाथी आ ९३ नी सालवाळु ताम्रपत्र पण असन्दिग्धरीते एज प्रथम मीमदेवनुं होई शके, ए वस्तु तरफ डॉ. फ्लीट जेवा महाविचक्षण विद्वान्नुं लक्ष्य केम न खेंचायुं ए आश्चर्य जेवं गणाय । अने वधारे आश्चर्य कारक तो ए छे, के फार्बस गुजराती सभा तरफथी जे “गुजरातना ऐतिहासिक लेखो" नामना दलदार ग्रन्थो बहार पाडवामां आव्या छे, तेना बीजा भागमां नं० १५९ ना अंकनीचे ए दानपत्रनी जे प्रतिलिपि आपवामां आवी छे, त्यां पण एने, डॉ. फ्लीटना भूलभरेला लखाणना आन्धळा भाषान्तर साथे, बीजा भीमदेवना दानपत्र तरीके मुद्रित करवामां आव्यु छ। ए दानपत्र माटे डॉ. किलहॉर्ने एपि. इन्डि. ना पु. १, पृ. ३१७ मां, सूनकवाळा कर्णदेवना ताम्रपत्र- विवेचन करती वखते, स्पष्टरीते ज एने प्रथम भीमदेव- दानपत्र बताव्युं छे; तेम ज म. म. डॉ. गौ० ही० ओझाए पोतानी प्राचीन लिपिमालामां पृ० १८२ उपर ए विषे विस्तृत टिप्पणी आपीने डॉ. फ्लीटनी भूलनु निराकरण पण कयुं छे । छनां "गुजरातना ऐतिहासिक लेखो"ना संपादके ए माटे कशी ज विचारणा करवानी तकलीफ न लीधी अने अभ्यासियोने भ्रममा नांखवानी उलटी असेवा करी छ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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