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वर्ष ]
चित्र परिचय [ २३५
श्री जिनदत्त सूरि, ए रीते चौलुक्य चक्रवर्ती सिद्धराज जयसिंह अने कुमारपालना समकालीन हता अने एमना सूरिपद समय दरम्यान आ पट्टिकानुं चित्राङ्कण करवामां आवेलुं होवाथी, आपणे एने विक्रमना बारमा सैकाना अन्तभागना अथवा तेरमा सैकाना आदि भागना चित्रालेखनना प्रतीक तरीके निश्चितरूपे ओळखावी शकी ए. ए समय जेटली जूनी आवी कोई अन्य सुन्दर चित्राकृतिओ अद्यापि आपणने उपलब्ध थई नथी.
चित्रपट्टिकाना रंगो आकर्षक अने रेखाओ सुन्दर, सुभग, अने सुमार्जित छे. स्त्रियो, पुरुषो अने यति गणनी आकृतियो सारी रीते उठावदार होई, तेमनो अंगवि - न्यास अच्छी रीते मरोडदार बताववामां आव्यो छे. स्त्रियोनां काननां कुंडल खास ध्यान खेंचे तेवां छे, अने स्तनमंडलनो उन्नत बर्तुलाकार तो आपणने अजन्ताना 'चित्रांकणनीज परंपरानो प्रत्यक्ष परिचय आपे छे. उपरथी आपणने एनो पण कांइक आभास मळी शके छे के अजन्तानी चित्रकला अने गुजरात - राजस्थान एटले के पश्चिम भारतनी चित्रकलानो परस्पर ऐतिहासिक संबंध रहेलो छे.
गुजरात - राजस्थाननी आ विशिष्ट चित्रकलाना विषयमां, में मारी मुंबई युनिवर्सिटी तरफथी अपाएली ठक्कर वसनजी माधवजी व्याख्यानमालामां केटलीक विशिष्ट चर्चा करेली छे अने गुजरात - राजस्थानपासे हजी पण आ चित्रकलानो har मोटो खजानो भरेलो पड्यो छे तेनुं दिग्दर्शन कराव्युं छे. मारा विद्वान् मित्र श्रीयुत नानालाल चमनलाल महेता (निवृत्त आई. सी. एस्.) जेओ आ विषयना एक प्रमाणभूत निष्णात छे तेओ 'भारतीय विद्या भवन' तरफथी प्रकाशित करवा माटे ए चित्रकला उपर एक विस्तृत निबन्ध लखी रह्या छे जेमां 'विषयी सविस्तर अने केटलीक मौलिक आलोचना करवामां आवशे.
चित्रप्लेट (इ - ई) उपर एक एवी बीजी काष्ठपट्टिकानां चित्रो छे. ए २९-३० इंच जेटली लांबी अने लगभग ३ इंच पहोळी छे. एनी बन्ने बाजूए, तेवाज विविध पाका रंगोमा सुन्दर चित्रावलि अंकित करवामां आवेली छे. रंग, रेखा, उठाव अने आलेखननी दृष्टिए, आ पट्टिका उपर जणावेली पट्टिका करतां पण वधारे आकर्षक अने वधारे उच्च प्रतिनी छे. एनी उपरवाळी बाजूनी फरती चारेकोरनी किनारी उपर हंसोनी सुन्दर श्रेणि चीतरेली छे..
आ पट्टिकानी चित्रावलिनो विषय ऐतिहासिक छे अने ते जैन श्वेताम्बर संप्रदायमा बहु जाणीतो छे. वादी देवसूरिना नामे एक प्रख्यात आचार्य सिद्धराजना समकालीन हता. सुप्रसिद्ध हेमचन्द्राचार्य तेमना प्रगाढ मित्र थता हता. प्रमाण
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