Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
View full book text
________________
चित्र परिचय - संपादकीय -
*
प्रस्तुत स्मृतिग्रन्थमां, सिंधीजीनां जे स्मरणो में लख्यां छे तेमां, जेसलमेरमां "मने मारा साहित्यान्वेषण कार्य वखते, त्यांना बृहद्ज्ञान भण्डार आदिना साहित्य संग्रहमांथी मळी आवेला केटलाक विविध ग्रन्थोनां, चित्र आदिना दिग्दर्शननी दृष्टिए, आद्यन्त पत्र इत्यादिनां फोटाओ विगेरे लीघेलां होवानी में नोंध लीधी छे. एमांना केटलाकना ब्लॉक्स् बनावीने, नमूनारूपे जे चित्रो, आ ग्रन्थमां छपाववामां आव्यां छे, तेमनो थोडोक परिचय आ नीचे आपवामां आवे छे. सचित्र काष्ठपट्टिकाओ
१ चित्रप्लेट (अ - आ ) उपर एक सचित्र काष्ठपट्टिकानां चित्रो छे. ए काष्ठ पट्टिका २६ - २७ इंच लांबी अने त्रणेक इंच जेटली पहोळी छे. एनी उपरनी बाजूर पाणीथी न धोवाय तेवा विविध प्रकारना पाका रंगोमां चित्रकाम करेलुं छे. जो के ए चित्रो, पाटलीनो बेकाळजीथी उपयोग करवाने लीधे, बच्चे क्यांक क्यांक घसाई गयेला छे, पण ते ओळखी शकाय एवां छे. ए पट्टिकानो एक खूणानो थोडोक भाग टूटी पण गएलो छे. एमां आलेखेली चित्रावलिना मध्यभागमां, एक जिन मन्दिरनुं दृश्य छे [ चित्रप्लेट ( अ ) ] जेना मध्यस्थाने जिनबिम्बनुं आलेखन करेलुं छे अने तेनी आसपासमां पूजा-उपासना करता श्रावको तेमज नृत्य, गान, वादन आदि करता नर्तको विगेरे आलेखेला छे.
२ चित्रप्लेट (आ) मां, ए पट्टिकाना डावा जमणा भागमां आवेलां दृश्योना बे चित्रखण्डो छे. ए बन्ने खण्डोमा श्रीजिनदत्त सूरिनी व्याख्यान सभानुं आलेखन करवामां आव्युं छे. एना उपरवाळा चित्रखण्डर्मा, मध्यभागमां श्रीजिनदत्त सूरि बेठेला छे अने तेमनी सन्मुख पंडित जिनरक्षित बेठेला छे. जिनरक्षितनी पाछळ बे श्रावको तेमज श्रीजिनदत्त सूरिनी पाछळ एक श्रावक अने वे श्राविकाओ बैठेली छे. नीचेना चित्रखण्डमां, मध्यस्थाने जिनदत्त सूरि अने तेमनी सन्मुख श्रीगुणचन्द्राचार्य तथा तेमनी पाछळ एक यति अने एक श्रावक श्रोता बेठेला छे. जिनदत्त सूरिनी पाछळ बे श्रावको बेठेला छे. ते सूरिना मुख आगळ जे स्थापनाचार्य मुकेला छे ते उपर 'महावीर' एवा अक्षरो लखेला छे.
आ चित्रावलि उपरथी लागे छे के ए सचित्र काष्ठपट्टिका श्रीजिनदत्त सूरिना पोताना ग्रन्थसंग्रहगत कोई ताडपत्रीय पुस्तकनी छे. कोई भावुक श्रावके तेमने
३.१.२९ 4.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408