Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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श्रृंगारशत
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[ सामान्य नायिका वर्णन ] कांचूर कर कामिणि ढीलउ । अंगि रंगि सुरयाजलि झीलउ । पीण थोर थण ए अणीआला । ओल्हवई विरहनी जिम झाला ॥ १ द्रेठि जोइ मन माणिणि वांकी । एक तुं मुखि दिवारि न बाकी । आवि आवि दइ सामिणि साई । एतला परहुं सार न कांई ॥ २ आवि देवि मझ बसि उत्संगिई । रंग रेलि सुह षे ( खे) लि कुरंगिइं । बोलि कइ चतुर कोमल वाणी, माहरा सयर तूं धणी आणी ॥ ३
लडसडी कड मोडीय माल्हती । गजगतिइं चमकंतीय चालती । कुरल कज्जल कोमल बांहडी । हृदय नारि न वीसरिसिइ घडी ॥ ४ रमण समय वेला, रंगनी एह वेला । भुजयुगलसलीलालिंगणूं देजि हेला । उरवरि उर चांपउ, सौख्य सर्वांग व्यापउ । विरहदहनु झांपड, स्नेहनी वेलि थाप ॥ ५
तरल तीष (ख) सुलोयण सांधती । प्रियतणउं मनिसिउं मनु बांधती । हिव मिली रमणी मननी रुली । दिन घणाइ ह आस वली फली ॥ ६ विलसती हसती हीयडउं हरइ । गजगतिईं चमकंतीय संचरइ | मुखि मयंक मनोहर साधरइ । मनह ते रमणी किम ऊतरइ ॥ ७
(ख) डी अलसए अणी आणी (ली) । वांकुडी मह कज्जल काली । पंचबाण धणुही सर सांधइ । मानवी मृग मनोहर बींधइ ॥ ८ रहि रहि मनु षां (ख) ची हूं कहुं वात साची । किमइ म हुसि काची, ताहरे रंगि राची ।
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रमणि रमण चालइ, आपणउं चित्तु नालइ ।
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मयणु मनि सु सालइ, छइ जि को दुक्ख पालइ ॥ ९
उहुं हुं मुहि बोल, ताहरी दासी तोलइ ।
कुहु कुहु मुह मेल्हइ, अंगु आलइ निटोलइ । छब छब वरसि भीजइ, कांतिसिउं रंगि रीझइ । रमणि इम रमीजइ, पूर्वि जइ पुण्य कीजइ ॥ १०
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