Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 357
________________ अंक १] कवि आसिग कृत जीवदयारास [२०३ धर्मकार्यमां धननो व्यय करवो। जेना दर्शन अने वंदनथी पवित्र थवाय एवा शत्रुजय, गिरनार, आबू , जालोर विगेरे तीर्थस्थानोनी यात्रा करवी अने पुण्यकर्म उपार्जन करवु ।" आ जातनो सर्व सामान्य अने प्रकीर्ण उपदेश आ रासमां गुंथवामां आव्यो छे । रासनी रचना सरल अने सीधी वाणीमां तथा तद्दन साधारण जनोने पण बोधगम्य थाय तेवी शैलीमां करवामां आवी छ। छेल्ली ३ कडियोमा कविए पोतानो टुंको परिचय पण आप्यो छे, परंतु अर्थावबोध जोइए तेवो स्पष्ट न थवाथी ए कडियोनो भाव बराबर हृदयंगम नथी थतो। पहेली (५१ मी) कडीमां कोई वाला नामना मंत्री अने तेना पुत्र वहेलनो, अने तेना कुलमां चंद्रमा जेवा आसाइतनो निर्देश छ। तेनी (मालिकीनी ?) वलहि* नामनी सुंदर पल्ली (पालडी = नवी वसावेली वसति) छे ज्यां बहुगुण संयुक्त एवो कवि आसिग रहे छे । ए कवितुं मोसाल जालोरमां छे। कार्य प्रसंगे, ज्यारे कवि पोताना गामथी जालोर आव्यो त्यारे (रस्तामा ?) सहजिगपुर नामना गामना पार्श्वनाथ मंदिरमां, संवत् १२५७ ना आसो सुदि ७ मना दिवसे, शान्तिसूरिनी पादभक्तिना प्रतापे, हाथोहाथ एटले के तुरता-तुरत (एक ज आसने बेसीने ?) आ नवीन रासनी रचना करवामां आवी छ। रचनानां बन्ध अने वर्णन उपरथी लागे छे के कवि पोताना जालोर तरफना प्रवास दरम्यान सहजिगपुरमा आवी चढ्यो छे अने त्यां ते प्रसंगे कोई उत्सवनुं आयोजन थई रहेलं होवाथी, ते उत्सवमां गावा माटे अने उत्सवनी स्मृतिने कविताबद्ध करवा माटे, उतावळ उतावळमां ज-कदाच एकाध दिवस जेटला थोडाक समयमां ज- शान्तिसूरिनी प्रेरणाथी तेणे आ सरल रास, सादा षट्पदी छन्दमां, शीघ्रकविनी कृतिनी जेम, जोडी काढ्यो छे । . शान्तिसूरि तेम ज कवि आसिगना विषयमां बीजी कशी विशेष माहिती अत्यारे उपस्थित करी शकाय तेम नथी । आशा छे के अभ्यासी जनो गुजराती भाषानी अद्यावधि अप्रसिद्ध एवी आ प्राचीनतर कृतिनुं योग्य अध्ययन करी, ए उपर विशेष प्रकाश पाडवा प्रयत्न करशे । * * * मारवाड-जोधपुर राज्यना गोडवाडप्रान्तमा वाली नामनुं जे गाम छे ते ज कदाच आमां सूचवेली 'वालहि पल्ली' होय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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