Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 336
________________ १८२] भारतीय विद्या [वर्ष ३ शोधी काढयु छे अने Indian Antiquary, 1914, P. 128 मां दर्शाव्युं छे. "जो के चालु मत प्रमाणे महावीर जे स्थाने मृत्यु पाम्या ते पापापुरी नामे पटना जिल्लाना बिहार भागमां गिरियकथी आशरे त्रण माईल दूर आवेलुं नानुं गाम छे तो पण D. N. III, 117 वगेरे उपरथी ए तदन स्पष्ट छे के बौद्धोए सेने ज्यां बुद्ध कुशीनारा जता चुन्दना घरमा रह्या हता ते पावानगरी साथे एक गण्यु छे." महावीर मज्झमा पावा-हालतुं पावापुरी-मां मृत्यु पाम्या हता. फ्रान्सीस बुखानन' आ स्थाने सन् १८१२मां गयो हतो अने तेणे तेना नकशामां अंकित कयु छे - ते प्रमाणे राजगीरथी पावापुरी ९, गीरीयक ७ अने गीरीयकथी पावापुरी ५ माईल दूर छे. __ महावीरना मृत्युस्थान संबंधी जैनोनी परंपरा विषे शंकाने स्थान नथी. उलट पक्षे, बौद्धो स्थानना नामनी साम्यताने लीधे भुलावामां पड्या अने महावीरनुं मृत्यु बुद्धना निर्वाण अगाउ थोडा ज समये शाक्यभूमिमां आवेला पावामां-जे एमने बुद्धनी यात्राना छेल्ला दिवसोना अहेवाल परथी सुपरिचित हतुं तेमां-थयुं एम मानी बेठा. आथी एमनो आ बाबत उपरनो अहेवाल आगम पछीना सूत्रसमयनो छे अने तेथी कोई पण रीते बुद्ध अने महावीरनी विश्वासपात्र निर्वाण तारीखो (४८४ अने ४७७ इ. स. पू.)नी सामे टकी शकतो नथी. तेथी आ तारीखो आपणी विशेष शोधनो साचो आधार छे. ७. आ विशेष शोधनो उद्देश अने तेनां साधन ___ महावीर जो बुद्धना निर्वाण पछी सात वर्ष विशेष जीव्या तो ते उपरथी एम मनाय के जैन आगममा बौद्ध आगम करतां तत्कालीन ऐतिहासिक माहिती दीर्घतर समयनी मळी शके. कारण के बौद्ध आगम तो बुद्धना निर्वाण पछीना समय विषे कई खास हकीकत दर्शावतां नथी. आ बाबत उपर नीचे प्रकाश पाडवामां आवशे अने खास करीने ए बताववामां आवशे के बौद्ध आगमोनी माहिती तथा एनी पूर्तिरूप अने एथीय विशेष लांबा समय उपर प्रकाश पाडती जैन आगमोनी माहिती एक साथे ध्यानमा लेवाथी मगधनो तत्कालीन इतिहास केटलेक अंशे चोकस आलेखी शकाय तेम छे. आ वस्तुने क्रमबद्ध गोठववा माटे नीचे आपेली विगतो ठीक काम लागशे. बुद्ध अजातशत्रुना बत्रीश वर्षना राज्यमा आठमे वर्षे निर्वाण पाम्या. बौद्धो अजातशत्रुने राजा मागधो अजातसत्तु वेदेहिपुत्तो कहे छे. अने विशेषमा ए पण कहे छे के ए राजगृहमा रहेतो हतो. तेना पिताने तेओ राजा मागधो सेनियो बिंबिसारो कहे छे. आ ज व्यक्तिओने जैनो सेणिय बिम्बसारपुत्त अने कूणिय (अथवा कोणिय) आवां नाम आपे छे. हुं नामोनां संस्कृत रूप वापरुंछु अने ते पण बौद्ध अहेवालनी बाबत होय त्यारे बिम्बिसार अने अजातशत्रु अने जैन अहेवालनी बाबतमां श्रेणिक अने कुनिक. आम करवाथी उल्लेखोना मूळ विषे वारंवार नोंध करवानुं मटी जशे. १. जुओ तेनुं Journal kept during the survey of the districts of Patna and Gaya in 1811-1812" Edited by V.H. Jackson, Patna 1925. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408