Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 340
________________ १८६ ] भारतीय विद्या [वर्ष ३ तेथी कूणिके पोतानी योजना, संभवतः शियाळामां, ज्यारे गंगानां पाणी उतयां त्यारे सफळरीते पार उतारी. तेणे गंगाना उत्तर किनारे शत्रुभूमिमां चोकस पगलां मांड्यांजेनो एक भाग तेणे निवास माटे रोक्यो. काशी अने कोसलना एकत्र थयेला १८ गणराजाओना समूह पर एणे सफळ हुमलो कर्यो भने तेमने हराव्या अने ते रीते तेणे पोतानी जीत चोक्कस करी. नव मल्लकिओ काशीना गणराजा छे. ते संभवतः शाक्यभूमिमां पावामां अने तेनी आसपास वसता मल्ल राजवंशीओना सगा छे. लिच्छविओ तो वृजिओना शासको तरीके आपणने परिचित छे. अहिं आपणने मालुम पडे छे के तेओ कोसलोनी शाखामां समान स्थान प्राप्त करे छे, -जेओ काशीना गणराजाओना पाडोशी हता. आ युद्धभूमिमां विजय प्राप्त करवा छतांय वैशाली उपर चढाई करवानी कूणिकनी हिंमत चाली नहि. १४. वैशाली बुद्धना वखतमा पूर्व हिंदमां, खास करीने जे भाग हाल बिहार कहेवाय छे ते भागमां, वैशाली सौथी वधु मोटुं अने धनाढ्य शहेर हतुं. साचे ज ते एक अनेक उपस्थानोथी संकलित थयेलुं विशाल शहेर हतुं. ते शहेर विषे मळी आवता बधा उल्लेखो आर. होन्र्लेए उवासगदसाओना पोताना भाषांतरमां. (Bibl. Ind. 1888) नोंध ८ (पान ३ वगेरे)मां एकठा कर्या छे. जैनोना उल्लेखो प्रमाणे वैशाली-मूळ वैशाली उपरांत वाणियगाम अने कुण्डगाम एम-त्रण स्थानोनुं बनेलं हतुं. एमांथी कुण्डगामने कोल्लाक नामर्नु परुं तुं, ज्यां महावीरनो जन्म थयो हतो. क्षत्रियो अने ब्राह्मणो एक साथे वसता न हता; दा. त. कुण्डगामनो क्षत्रियवास शहेरना उत्तर भागमां अने ब्राह्मणवास दक्षिणभागमां हतो; बन्ने भाग उपर हकुमत तो समान हती. अहिं आपणने इ. स. पू. ६ठा सैकामांना हिंदना एक पुरातन शहेरनी योजना विषेनो, कमभाग्ये मात्र अपूर्ण, ख्याल मळी शके एम छे. पाटलिपुत्रने जे माटे दाखला रूपे आपवामां आव्युं छे एवा कौटलीयना दुर्गनिवेशना वर्णन साथे आपणे आ वर्णनने सरखावीए तो मालुम पडे छे के इ. स. पू. चोथी सदीमा जो के घणु बदलाई गयु हतुं छतां केटलुक तो एवं ने एq रही गयुं हतुं; दा. त. चार जुदी जुदी दिशामां चारे वर्णोए जुदो जुदो वास करवो. “ ___ ज्यां अभिजात (aristocratic) स्वातंत्र्य जाम्युं हतुं अने जे बुद्ध अने महावीर साथेना संबंधने लीधे महान स्थान मनातुं हतुं ! धनाढ्य महानगर वैशाली. जीतवानुं तो अजातशत्रु जेवा समर्थ साम्राज्यवर्धक राजाए माथे लीधुं खलं,. छतां तेणे पाटलिपुत्रने चढाइ करवाना एक साधन - स्थान तरीके उपयोगमा लई, अर्थात् पश्चिमदिशाएथी-हुमलो लई जवानी हिमत करी नहि. कारण के एम कर १ बुद्धघोषे एनी म. प. सु. नी टीकामां वैशालीना अधिकारीओ विषे आ करतां तद्दन जुदा ज उल्लेखो आप्या छे, जुओ Lassen, Ind. Alt. p. 80. पण ते, उपर आपेला पुरातन उल्लेखो करतां, प्रमाणमां पश्चात्कालीन होवाथी तेमने आपणे अहीं प्रमाणरूपे गणी शकीए नहि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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