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१९२] भारतीय विद्या
[वर्ष ३ प्रारंभमां तो में जे ज्ञात के प्रसिद्ध ग्रन्थो हता तेमने जोवानो विचार ज राख्यो न हतो. ए भंडारनी जे सूचि सद्गत चिमनलाल दलाले तैयार करी हती अने जे गायकवाडस् ओरिएन्टल सीरीझमां प्रकट थई छे, तेने आधार राखीने ज में ए भंडारस्थित ग्रंथप्रतियो जोवानो उपक्रम चालू को हतो. विशेषावश्यकनी ए प्रतिनी कोई खास नोंध उक्त दलालनी सूचिमां करेली न हती. एमणे मात्र एटलीज नोंध करेली हती के 'वेरी ऑल्ड ( Very old ) घणी जूनी. एटले में धारेलु के प्रति बहु त्रुटित के पानाओ जीर्ण-शीर्ण थएलां हशे तेथी तेमणे ए माटे एवी नोंध करेली हशे. बीजं ए ग्रन्थ सुप्रसिद्ध होई मुद्रित थएलो हतो तेथी एने जोवा माटे खास समय गुमाववो मने ठीक न लाग्यो. भंडारनी प्रतियोनी रोज ले-मूक थया करती ते वखते ए नंबरवाळी प्रति पण वारंवार हाथमाथी पसार थती, तेथी में प्रतियो काढनार भाइयोने एने एक बाजूए मूकी देवानी सूचना करी. परंतु बीजे दिवसे ए पोथी वळी पाछी हाथमां आवी चढी अने साथियोमांथी एकजणे एने खोलीने जोवा मांडी तो एना अक्षरो तद्दन जुदी ज जातना जणाया अने ते खोलनार भाई उकेली न शक्या; एटले ए प्रति मारा हाथमा मूकी. प्रतिनी लिपि जोतां ज मने जणायुं के ए तो कोई बह ज जुनी प्रति होय तेम देखाय के अने तेथी श्रीदलाले एना माटे Very old (धणी जूनी) एवी जे नोंध करी छे तेनो अर्थ मने समजाणो. ख. दलालनी दृष्टि बहु तीक्ष्ण हती अने तेमने जूनी प्रतो वांचवानो परिचय पण सारो हतो, परंतु आ प्रतिनी लिपि सरलताथी तेओ उकेली शक्या नहि होय अने अक्षरोना आकार उपरथी समजी शक्या होय के प्रति बहु जूनी होवी जोइए, तेथी तेमणे मात्र एटली ज नोंध पोतानी ए यादीमां करी दीधी होवी जोइए. प्रतिनी लिपिनुं वळण जोतां ज मने जणायुं के पाटण के जेसलमेरना भंडारोमां ताडपत्रनी जेटली प्रतियो आज सुधीमां मारा जोवामां आवी हती ते सर्व करतां आनी लिपि वधारे जूनी हती अने तेथी वि. सं. ११०० नी पहेलां क्यारेक ए लखाएली होवी जोइए एवी मारी कल्पना थई. प्रतिना आदि अने अन्तनां पानानी स्थिति एकंदर सारी लागी. पत्रो पण साधारण रीते बीजी बीजी प्रतियोनां करतां वधारे पातळ अने वधारे श्लक्ष्ण (चीकणां) जणायां अने तेथी कोई जुदी ज जातनां अने प्रदेशनां ताडवृक्षनां ए पानां होवा जोइए एवी मारी दृष्टिने आभास थयो. प्रथम में प्रारंभर्नु पार्नु जोयु तो तेमांनी पहेली पंक्तिना अक्षरोना शिरोभागनी रेखाओ घणी खरी खरी गएली जणाई छतां एटलं जाणी
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