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बाबू श्रीबहादुरसिंहजी सिंघीके जीवनके
कुछ स्मारक संवत्सर
वि. सं. १९४१ में अजीमगंजमें जन्म । मुर्शिदाबाद, नवाब हाईस्कूलमें
मेट्रीक तक पढाई । वि. सं. १९५४ में बालुचरनिवासी श्रीलक्ष्मीपति सिंहजीके पुत्र श्रीछत्रपति
सिंहजीकी पुत्री श्रीमती तिलक कुमारीके साथ विवाह सम्बन्ध । सन् १९०४ में ज्येष्ठ पुत्र श्रीमान् राजेन्द्रसिंहका जन्म ।
१९१० में द्वितीय पुत्र श्रीमान् नरेन्द्रसिंहका जन्म । , १९१४ में छोटे पुत्र श्रीयुत वीरेन्द्रसिंहका जन्म । , १९१४ में स्थायी निवासके रूपमें कलकत्ता रहने आये। उसी समयसे
___ अपने पिताके कारोबारको खयं संभालने लगे। , १९१८ में श्रीपतिसिंहजी और जगतपतसिंहजीका आपसी झगडेका
निकाल करनेके लिये आरबीट्रेटर बने ।। , १९१९ में कोलियारी और माइनींगके उद्योगका प्रारंभ किया। , १९२३ में सबसे पहले जमीनदारी खरीद करनेका काम चालू किया । , १९२६ में बम्बईमें होने वाली जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सके प्रेसीडेंट बने। , १९२८ में इनके पिता बाबू श्रीडालचन्दजीका स्वर्गवास हुआ । पिता
जीके पुण्यार्थ प्रायः १०००० हजार गरीबोंको १ सेर पके चावलसे भरा हुआ पित्तलका बडा कटोरा, मय ४ आनेके साथ, दान किया।२५ तोला भार चांदीकी रकाबियां, करीब ५०० की
संख्यामें बिरादरीके सब घरोंमें तथा सब देवस्थानोंमें भेंट दी। , १९२९ में बालीगंजमें प्रायः ५ लाख रूपयेकी जमीन खरीद की जो
अब 'सिं घी पार्क' के नामसे मशहूर है। , १९३० में अपनी माताको साथ लेकर पश्चिम और दक्षिण भारतके
तीर्थस्थानोंकी यात्रा की।
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