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१२०] भारतीय विद्या
[तृतीय सन् १९४२ के नवेंबर महिनेसे अजीमगंज वगैरह स्थानोंमें गरीबोंको सस्ते
भावसे चावल देने शुरू किये जो १९४३ के डीसेंबर तक बराबर १४ महिनों तक देते रहे। इसमें उन्होंने कोई
३००००० (तीन लाख) रूपये व्यय किये। , १९४३ के अप्रेलमें, कलकत्ताके रेडीयो स्टेशनसे महावीर जयन्ती
उत्सव निमित्त, 'महावीरके उपदेश' पर संभाषण किया। , १९४३ के मईमें, 'सिंघी जैन ग्रन्थमाला' भारतीय विद्या भवनको सम
र्पित की। भवनको एक हॉल बनानेके लिये १००००
रूपये समर्पण किये। , १९४३ के अक्टूम्बरमें बीमारीका आक्रमण हुआ। , १९४४ के जुलाईमें कलकत्तेमें स्वर्गवास । इनके वर्गवास निमित्त
इनके सुपुत्रोंने अजीमगंज वगैरह स्थानोंमें कोई ५००००
रुपयेका दान-पुण्य किया। "..१९४४ के नवेम्बरमें इनकी पूजनीया वृद्ध माताजीका वर्गवास । इनके
पीछे भी सिंघीजीके पुत्रोंने कोई ६०-७० हजार रूपये दान-पुण्य निमित्त व्यय किये ।
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