Book Title: Bhartiya Vidya Part 03
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 333
________________ अंक १] बुद्ध अने महावीरनुं निर्वाण [१७९ महावीरना मृत्यु पछी केटलोक समय वीत्या बाद बुद्धनो देहांत थयो. आ अनुमान साचुं छे के केम ए नक्की करवा माटे जे हकीकत उपर ए अनुमाननो आधार मानवामां आवे छे ए हकीकत विषे शोध थवी जोईए. ३. जैन धर्मना संस्थापकना निर्वाण बाद एनी कहेवाती हीनस्थितिनो हेवाल कया संबंधमां आपेलो छे ?. आ उल्लेखनुं उद्गमस्थान नीचे जणावेलांत्रण बौद्धसूत्रो छे: १. मज्झिमनिकाय नुं सामगाम सुत्त (२,२. पान २४३ वगेरे) २. दीघनिकाय नुं पासादिक सुत्तन्त (३, पान ११७ वगेरे) ३. दीघनिकाय नुं संगीति सुत्तन्त (३, पान २०९ वगेरे) अंक १ अने २मा प्रसंग एक ज छे. उपासक चुन्दे पावामां जैनोनी हीनस्थिति विषे सांभळ्युं हतुं. तेथी ते सामगाममां आनन्द पासे ए विष प्रकाश पामवा जाय छे. ते बन्ने बुद्ध पासे जाय छे अने चुन्द पासेथी सांभळेली बीना आनन्द बुद्ध आगळ रजु करे छे. आ पछीनो आगळनो अहेवाल बन्ने सूत्रोमा जुदो जुदो छे.. पासादिक सुत्तमा बुद्ध चुन्दने एक लांबा प्रवचनथी समजावे छे के जैन शास्त्रमांना बुद्धनी सामे उठाववामां आवेला बधा विरोधो एमना पोताना सिद्धान्तने स्पर्शी शकता नथी. ते सौ आ बधां दृष्टिबिन्दुओमां तद्दन उलटां ज छे. सामगाम सुत्तमां बुद्ध पोतानो सिद्धान्त आनंदने उपदेशे छे अने एक विस्तृत प्रवचनमा ६ विवादमूल, ४ अधिकरण अने ६ सारणीय धम्म समजावे छ जेनुं साचुं ज्ञान ज श्रद्धान्वितो (आस्तिको)मा एकता टकावी शके. आथी तद्दन जुदी ज जातनो हेवाल संगीति सुत्तनो छे. पावाना मल्लोए एक 'नगरभवन, बंधाव्यो हतो अने तेमनी विनंतीथी बुद्धे तेमने धर्म अंगीकार कराव्यो. विधिनी पूर्णाहूति पछी मल्लो चाल्या जाय छे अने बुद्ध आराम लेवा माटे आडा सूई जाय छे. त्यां उपस्थित थयेला ५०० साधुओने धार्मिक प्रवचन आपवा सारिपुत्तने एमणे फरमाव्यु. तेणे जैनोनी हीनस्थितिनो उल्लेख कों अने पछी समग्र धर्मर्नु अवलोकन कयु. एवी रीते के अंगुत्तरनिकायनी रीत प्रमाणे प्रत्येक अंगनुं एकथी दश सुधी जुदा जुदा विभागमा विवरण करे छे.१ ४. आ अहेवाल उपर चर्चा ___ आत्रणे अहेवालो एक बीजाथी अत्यंत भिन्न छे, छतांय ते त्रणेनो उद्देश तो एक ज छे अने ते ए के संघने पक्षापक्षीमां पडतां चेतववा माटे धर्मना तात्विक रहस्य उपर बुद्धनो कोई प्रामाणिक अभिप्राय आपवो. पण आत्रणे प्रतीकोनी भिन्नता तरत ज साबीत करे छे के ए उपर जणावेलो उपदेश बुद्धथी दर्शावेलो होई शके नहि. विशेषमां सीधी रीते पण आ साबीत थई शके एम छे. दा. त. महापरिनिब्बान सुत्तन्त मां बुद्ध (नी जीवनयात्रा)नां निर्वाणपर्यन्तनां छेल्लां वर्षोना बनावो उपरनो जुनामां १. आ विवरण- बीजु रूप संगी ति सुत्त ना पछी आवतुं द सुत्त र सु तन्त मां पण मळी ' आवे छे. पण त्यां आ विवरण सारिपुत्तना मुखमां मूकवामां आव्युं छे. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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