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वर्ष
श्री बहादुर सिंहजी सिंघीके पुण्य स्मरण [२७ समय लगता था इसलिये मुझे देखना था कि बंबईमें रह कर ग्रंथमालाका कार्य कुछ शीघ्रताके साथ किया जा सकता है या नहीं।
मैं इस तरह जब बंबईमें कुछ दिन ठहरा हुआ था, तब जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सके सेक्रेटरी वगैरह सज्जन मेरे पास आये और केशरियाजी तीर्थका जो मामला चल रहा था उसके बारे में, परामर्श करना चाहा। उदयपुर स्टेटने अब उस कामकी कानूनी कार्रवाई करनेके लिये एक कमिशनकी नियुक्ति कर दी थी और उसके सामने श्वेतांबर और दिगंवर दोनों संप्रदायवालों को अपने अपने प्रमाण उपस्थित करनेकी आज्ञा जारी की थी। सो इसके लिये दोनों पक्षवाले वकील-बेरिस्टरोंको तैयार करने लगे और अपने अपने केसका मसाला जुटाने लगे। श्वेतांबर पक्षकी ओरसे जैन कॉन्फरन्स और आणन्दजी कल्याणजीकी पेढी- इन दोनों ही संस्थाओंने संयुक्तभावसे इस केसमें सहयोग देनेका निर्णय किया था । पेढीने तो अपने प्रमुख प्रतिनिधि (स्वर्गस्थ) सेठ साराभाई डाह्याभाई तथा सेठ प्रतापसिंह मोहोलालको इस कामकी जिम्मेवारी सौंप दी थी और जैन श्वे० कॉन्फरन्सने, अपने एक भूतपूर्व अध्यक्ष श्रीबाबू बहादुर सिंहजी सिंघीकी प्रधानतामें इस कामको चलानेका निश्चय किया था। सिंघीजी पहले ही से इस काममें दिलचस्पी ले रहे थे और उनकी कार्य करनेकी कुशलता तथा बुद्धिमत्ताका परिचय सबको ठीक ठीक हो गया था, इसलिये उन्हींके जिम्मे यह काम सौंपा गया। मैं जब बंबईमें था तब उन्होंने जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सके सेक्रेटरीको सूचित किया कि वे इस कामके लिये मुझसे मिले और कुछ विचार-विनिमय करें। इसलिये वे सजन मेरे पास आये और केशरियाजीके मामलेके विषयमें परामर्श करने लगे । मेरे साथ की गई बातचीतसे उन सजनोंको प्रतीत हुआ कि - उदयपुरमें कमिशनके सामने जब कार्रवाई चालू हो तब मेरी उपस्थिति का वहां होना बहुत आवश्यक है। इससे उन्होंने सिंघीजीको लिखा कि-वे मुझसे उदयपुर आनेका अनुरोध करें इत्यादि । इस वृत्तांत को जान कर सिंधीजीने स्वयं बंबई आनेका निश्चय किया और इस विषयका ता. ४.२.३५ को कलकत्तेसे निम्न लिखित पत्र मुझको भेजा । Registered
११६, लोअर सर्म्युलर रोड,
कलकत्ता, ४. २.३५ श्रद्धेय श्रीजिनविजयजी,
सविनय प्रणाम. आपके दो पत्र मिले । पुस्तकें भी मिलीं । आपके लिखे माफिक चेक १ रु. १५०० का निर्णयसागर प्रेसके नामका भेजते हैं।
और चीनुभाई सोलिसिटरके पत्रसे मालूम हुआ कि उन लोगोंने ध्वजादंड केस संबंधी आपसे परामर्श किया था। उन लोगोंका मत है कि बंबईमें बैरिस्टरके साथ परामर्श करने के समय व उदयपुरमें सुनवाई के समय आपकी उपस्थिति अत्यावश्यक है। उन्हींके पत्रसे मालूम हुआ कि आप अहमदाबाद चले गये हैं इसलिये यह पत्र अहमदाबादके पतेसे भेज रहे हैं। हम ता० १४ फरवरी सुबह ७ बजे बंबई पहुँचेंगे। चौपाटी नरोत्तमभाईके यहां
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