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९२] भारतीय विद्या
अनुपूर्ति [ तृतीय
( २ ) जो संस्कृतके साथ B. A. पास हों और इतिहास, तत्त्वज्ञान या संस्कृत ले कर M. A. होना चाहते हों ।
( ३ ) जो प्राच्य विद्या विभाग में अध्ययन करना चाहते हों ।
(४) जो उपरोक्त किसी विषय में M. A. हो जानेके बाद आगे जैन परम्परासे सम्बद्ध किसी विषय पर डॉक्टरेट करना चाहते हों ।
(५) जो प्राच्य विद्या विभागमें किसी भी विषय में आचार्य परीक्षा देनेके बाद जैन परम्परासे सम्बद्ध किसी विषय पर संशोधन (रिसर्च) करना चाहते हों । छात्रवृत्तिकी रकम -
(क) उपरोक्त नं. १ के अधिकारीको इन्टर तक मासिक रु० १५) और B. A. तक मासिक रु० २०J मिलेगा ।
(ख) उपरोक्त नं. २ के अधिकारीको मासिक रु० ३०) मिलेगा।
(ग) उपरोक्त नं. ३ वाले अधिकारीको प्रवेशिका या मध्यमा तक मासिक रु० २०) तथा शास्त्री या तीर्थ तक मासिक रु० २५) और आचार्य तक मासिक रु० ३०) मिलेगा। (घ) उपरोक्त नं. ४ और नं. ५ के अधिकारीको मासिक रु० ५०) दो वर्ष तक मिलेगा ।
अध्ययनका स्थान - ( १ ) प्राच्य विद्या विभागके लिये बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी, गवर्नमेन्ट संस्कृत कोलेज - बनारस, कलकत्ता संस्कृत कोलेज; ये स्थान नियत है. ( २ ) B. A. और M. A. के लिये बनारस हिन्दु यूनिवर्सिटी, कलकत्ता युनिवर्सिटी और बॉम्बे युनिवर्सिटी है. (३) संशोधन (रिसर्च) के लिए बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी, कलकत्ता युनिवर्सिटी, भारतीय विद्याभवन - बम्बई, तथा गुजरात वर्नाक्युलर सोसायटीअहमदाबाद है ।
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निबन्धके लिये - जैन तत्त्वज्ञान, 'पुरस्कारजैन साहित्य, जैन मूर्त्तिकला, जैन चित्रकला, जैन स्थापत्य, जैन इतिहास इत्यादि जैन परम्परासे सम्बन्ध रखनेवाली किसी भी विषय पर लिखी हुई मौलिक पुस्तक, यदि नियुक्त समिति के द्वारा पुरस्कारपात्र साबित हो, तो उसके वास्ते वार्षिक रु० ५००) देना । गुजराती और हिन्दीमें छपी पुस्तककी पसन्दगी और पारितोषिक वितरण भारतीय विद्याभवन - बम्बई के जिम्मे रहेगा । अंग्रेजी और बंगाली में छपी हुई पुस्तकोंकी पसन्दगी और पारितोषिक वितरणके लिये कलकत्ता युनिवर्सिटीको उतनी ही रकम वार्षिक दी जायगी ।
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व्याख्यान - तीन वर्षमें रु० १०००) की रकम किसी युनिवर्सिटीको देना जो किसी भी जैन विषय पर विशिष्ट वक्ताको आमन्त्रित करके चार लिखित व्याख्यान करावे, जिसका नाम " सिंघी व्याख्यान" रहेगा, वे व्याख्यान "श्री सिंघी जैन ग्रन्थमाला' में छपेंगे।
पुरस्कार के लिये पसन्द की जानेवाली पुस्तक किसी भी जैन जैनेतर लेखककी हो सकती है । व्याख्यानके लिये आमन्त्रणका अधिकारी भी कोई जैन जैनेतर सुयोग्य व्यक्ति हो सकता है ।
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