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भास्कर
[भाग १
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अतः
"ज्ञान भी सांसारिक मोह की प्राकुलता से व्याकुल रहता है तो अज्ञान अंधकार की संज्ञा में ही आ जाता है।"
स्पष्ट है कि आध्यात्मिक विवेक से युक्त ज्ञान को ही वे वास्तविक ज्ञान मानते थे। अविद्या राक्षसी से बचने के लिए इसीको आवश्यकता है।
इसी वास्तविक ज्ञान के उज्ज्वल प्रकाश से वंचित रहकर हमारी जाति आज भी अंधकार में भटक रही है, मिथ्या संस्कारों में उसे प्रात्मकल्याण की मरीचिका के दर्शन हो रहे हैं परन्तु सुख, शांति और समृद्धि का दिन प्रति दिन ह्रास हाता जा रहा है। कुमार जी ने समाज की नाड़ो पहचान ली थी और रोग का उपचार भी बतला दिया था। नारीत्व और पुरुषत्व के सम्यक विकास से ही पूर्ण मनुष्यता का निर्माण संभव है। यदि समाज का एक अंग निष्क्रिय बना हो
और दूसरा श्रद्धोंग रोग से पीड़ित हो तो समाज व्यावहारिक जीवन में कितनी दूर आगे बढ़ सकता है ? नारी-शिक्षा ही समाज से मिथ्याज्ञान के विनाशकारी राक्षस का अन्त कर सकती है। इसीलिए कुमार जो कहते हैं:
"हे भाइयों इस न्याय से कि जब तक गाड़ी के दोनों पहिए ठीक न होंगे गाड़ी नहीं चल सकती। आपको लड़कों की भाँति लड़कियों को भी पढ़ा लिखा कर विवेकवान कर देना चाहिए जिसमें पढ़े हुए दम्पत्ति श्रानन्द से गृहस्थ-धर्म की गाड़ी चला सकें।"
हमारे समाज में बाल-विवाह की कुप्रथा ने ही बालक-बालिकाओं के व्यक्तिगत विकास में रोडे अटकाये हैं। कुमार जी का विचार ठीक ही था कि लौकिक ज्ञान और आध्यात्मिक विचार में पुष्ट हो जाने के पश्चात् ही बालक-बालिकाओं का विवाह एक सुखमय परिवार की स्थापना कर सकता है और समाज की समृद्धि बढ़ सकती है । समाज की जन संख्या पर भी इसका प्रभाव पड़ता है, यह कुमार जी जैसे दूरदर्शी ब्यक्ति ही समझ सकते थे। इस संबन्ध में कितने क्षोभ के साथ वे कहते हैं___ "यह कमबख्त बाल-विवाह बालक-बालिकानों को विद्यालाम से वञ्चित रखने के अतिरिक्त उनके जीवन को बेकार ही नहीं किन्तु दुखदायी कर देता है। यहाँ तक कि बहुत से घरों का सत्यानाश हो जाता है और ताले लग जाते हैं। ............१० वर्ष के अन्दर आध लाख जैनियों के कम हो जाने का बड़ा भारी कारण एक बाल विवाह भी हैं।"
एक ओर इस प्रकार समाज की प्रगति रोकी जा रही है और दूसरी ओर समाज का वह अंग जो अपने वर्षों के अनुभव से अगली पीढ़ी को लाभ पहुँचा सकता था, विषयानल में समाज की कच्ची कलिकाओं को झोंक कर विधवाश्रा की संख्या ही नहीं बढ़ा रहा है, युवक समाज के समक्ष एक विनाशकारी प्रादर्श उपस्थित कर उसके भविष्य पर भी कुठाराघात कर रहा है। रविवार